लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. मसूद अहमद ने कहा कि न्यायाधिकरणों तथा ट्राईब्यूनल में वर्षों से खाली पडे़ पदों पर केन्द्र सरकार की अर्कमण्यता से माननीय सर्वोच्च न्यायालय भी दुखी एवं क्रोधित है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने केन्द्र सरकार को फटकार लगाते हुये कहा है कि केन्द्र सरकार हमारे धैर्य की परीक्षा न ले अन्यथा अवमानना की कार्यवाही करनी पड़ेगी। न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विपरीत केन्द्र सरकार द्वारा ट्राईब्यूनल रिफार्म एक्ट बनाने पर अपनी नाराजगी जताई है।
डाॅ. अहमद ने कहा कि न्यायाधिकरणों तथा ट्राईब्यूनल में लाखों विभागीय कार्य निस्तारित होते रहते थे परन्तु केन्द्र सरकार की मनमानी के चलते इनका अस्तित्व समाप्तप्राय कर दिया गया है क्योंकि सरकार सभी जगह अपना अधिपत्य करना चाहती है और मनमाफिक फैसले कराना चाहती है। ज्ञातव्य है कि केन्द्र सरकार ने सीबीआई जैसी स्वतंत्र संवैधानिक संस्था को अपनी कठपुतली बना रखा है और विरोधियों अथवा विपक्षी दलों को प्रताडि़त करने में सीबीआई से काम लेती है। केन्द्र सरकार का इस प्रकार का कृत्य लोकतंत्र पर करारा प्रहार है। मा. सर्वोच्च न्यायालय निचली अदालतों में लम्बित करोड़ों मुकदमों के प्रति संवेदनशील है परन्तु देशवासियों का दुर्भाग्य है कि केन्द्र सरकार पीडि़त लोगों के लिए संवेदनहीन है।
रालोद प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि मा. सर्वोच्च न्यायालय लोकतंत्र के चौथे खम्भे की मर्यादा अक्षुण रखने के लिए ही समय समय पर केन्द्र सरकार को अपनी निष्पक्षता का परिचय देता है तथा फटकार भी लगाता है कभी कभी ऐसा भी होता है कि केन्द्र सरकार के खिलाफ जनहित में आदेश भी पारित करता है। भारतीय जनता पार्टी के शासन में विगत सात वर्षो से देश की जनता को न्याय से लगातार बाधित किया जा रहा है जोकि स्पष्ट रूप से लोकतांत्रिक मर्यादा का हनन है। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुये कहा कि मा. सर्वोच्च न्यायालय निश्चित रूप से न्यायाधिकरणों और ट्राईब्यूनल्स के पक्ष में निर्णय लेकर रिक्त स्थानो की पूर्ति करायेगा ताकि पीडि़त लोगों को त्वरित न्याय मिल सके।