सरकार एनटीपीसी और इंडियन ऑयल जैसी महारत्न कंपनियों समेत सार्वजनिक क्षेत्र की 12 कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी घटाकर 51 प्रतिशत से नीचे ला सकती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक विनिवेश विभाग ने प्रस्ताव के ड्राफ्ट कैबिनेट नोट पर संबंधित मंत्रालयों की राय मांगी है। अगले दो हफ्ते में इसे केंद्रीय मंत्रिमंडल से अंतिम मंजूरी मिलने की संभावना है।
अगले चरण के विनिवेश में शामिल कंपनियों की लिस्ट में एनटीपीसी के अलावा पावर सेक्टर की दो अन्य कंपनियां पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) और पावरग्रिड कॉरपोरेशन इंडिया शामिल हैं। इंडियन ऑयल के अलावा तेल-गैस सेक्टर की दो अन्य कंपनियां गेल (गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया) और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) भी इस लिस्ट के हिस्सा हैं। इसके अलावा नाल्को, कॉन्कोर और बीईएल में सरकार की हिस्सेदारी कम करने की तैयारी की जा रही है।
निचली सीमा तय नहीं
सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि विनिवेश के प्रस्ताव में सरकारी हिस्सेदारी की निचली सीमा तय नहीं है। मंत्रियों के समूह को निचली सीमा तय करने का अधिकार होगा। कंपनियों में सरकारी हिस्सेदारी एक साथ की बजाय अलग-अलग किस्तों में बेची जाएगी। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) अगले पांच-सात वर्षों में रिफाइनिंग और पेट्रोकेमिकल्स उत्पादन क्षमता में विस्तार के लिए दो लाख करोड़ रुपये का निवेश करेगी। IOC के चेयरमैन संजीव सिंह ने बताया कि देश की सबसे बड़ी तेल कंपनी अपनी अग्रणी स्थिति बनाए रखने के लिए यह निवेश करेगी।
यह है योजना
योजना के अनुसार कंपनी अपनी ऑयल रिफाइनिंग क्षमता को दोगुना कर प्रतिवर्ष 15 करोड़ टन तक बढ़ाएगी। इसके साथ ही तेल और गैस का रिटेल नेटवर्क और पेट्रोकेमिकल उत्पादन क्षमता का विस्तार कर अधिक कच्चे तेल और गैस का उत्पादन करेगी।