क्रोध को मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु मना जाता है। क्रोध और असहनशीलता क्षणिक आवेश हैं और इनका अंत हमेशा पश्चाताप से ही होता है। अगर बात-बात पर क्रोध आता है या फिर मन में नकारात्मक विचारों का प्रवाह बना रहता है तो सावधान हो जाएं। आपके आसपास नकारात्मक ऊर्जा आपको क्रोधित होने के लिए प्रेरित कर रही है और मानसिक विकारों को उत्पन्न कर रही है। वास्तु में कुछ ऐसे आसान उपाय बताए गए हैं, जिन्हें अपनाने से क्रोध और आवेश की स्थिति दूर हो सकती है। इन उपायों को अपनाकर आप मानसिक रूप से स्वयं को शांत और एकाग्रचित अनुभव करेंगे-
अगर बात-बात पर क्रोध आता है तो हनुमान जी की उपासना करें। हनुमान जी को गुड़ या बूंदी का भोग लगाएं। हनुमान चालीसा का नित्य प्रति पाठ करें। घर में तुलसी का पौधा लगाएं। तुलसी का पौधा घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। अगर हमारे घर या कार्यक्षेत्र में हमारे आसपास गंदगी है तो यह भी हमारे क्रोध को बढ़ाती है। ऐसे में अपने घर या प्रतिष्ठान की सफाई का विशेष ध्यान रखें। घर में मकड़ी के जाले न लगने पाएं। हमेशा ध्यान रखें कि अन्न का अनादर न होने पाएं। घर की नाली में अन्न का अंश बिल्कुल न जाए।
घर या प्रतिष्ठान में लाल रंग का प्रयोग भी क्रोध को बढ़ाता है। ऐसे में लाल रंग का प्रयोग न करें। घर की पूर्व दिशा में भारी भरकम सामान न रखें। रोजाना कुछ देर मौन रहने का प्रयास करें। घर में सुबह शाम दीपक जलाएं। सुबह सूर्यदेव को जल अर्पित करें। मंगलवार के दिन बेसन और मसालों का दान करने से क्रोध शांत रहता है। दक्षिण की ओर मुख कर भोजन ग्रहण न करें।