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राज्य में चार साल से बंद शैक्षणिक संस्थान में गैर भारतीय सदस्यों का अवैध नियन्त्रण

नियमों का पालन न होने के बावजूद जय राधा रमण एजुकेषन सोसाइटी रद नहीं किया जा रहा लाईसेंस

लखनऊ। उत्तर प्रदेश स्थित गैर-सरकारी संगठन जनविकास महासभा ने आज ने यहां प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में बताया कि उन्हें कई ऐसे दस्तावेज़ प्राप्त हुए हैं जिनसे पता चला है की ग्रेटर नोएडा में एक शिक्षण संस्थान को विदेशी नागरिकों द्वारा संचालित किया जा रहा है और यह संस्थान 2018 से बंद पड़ा है लेकिन फिर भी यह परिसर पर कब्ज़ा किए बैठा है जो कि लीज़ अनुबंध का उल्लंघन है। इस मामले को लेकर जनविकास महासभा ने जनसूचना अधिकार के तहत नोएडा प्राधिकरण से विस्तार से जानकारी भी मांगी गयी है।

श्री तिवारी ने बताया कि इस ऐजुकेशनल सोसाइटी के कब्ज़े में ग्रेटर नोएडा में प्राइम लोकेशन पर 42 एकड़ की ज़मीन है, जहां पहले अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान चलाया जाता था। इस संस्थान की मान्यता 2018 में रद्द कर दी गई जिसके बाद इसे बंद होना ही पड़ा और इसके सभी विद्यार्थियों को मजबूरन अन्य कॉलेजों में प्रवेश लेना पड़ा। जनविकास महासभा (जेवीएम) के अध्यक्ष पंकज कुमार तिवारी ने कहा यह भूमि सार्वजनिक उपयोग के लिए है। इस परिसर में 10 कॉलेज खोले जा सकते हैं। लेकिन यह ज़मीन बेकार खाली पड़ी जबकि प्रदेश में नए शैक्षिक इंफ्रास्ट्रक्चर की सख्त जरूरत है। ऐसा स्पष्ट नियम है जो नोएडा प्राधिकरण को यह अधिकार देता है की वह लीज़ के अंतर्गत ज़मीन को वापस ले सके और इसके अलावा प्रत्येक नियम का उल्लंघन होने के बावजूद अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। ऐसा क्यों है हमें नहीं मालूम उन्होंने कहा।

जेवीएम ने आरटीआई के तहत अधिकारियों से पूछे सात सवाल 

● क्या यह सत्य है की 2006 में ग्रेटर नोएडा में जेआरआरईएस नामक सोसाइटी को लगभग 42 एकड़ की ज़मीन आवंटित की गई है?
● क्या यह सच है की यह सोसाइटी निष्क्रिय है और ए.के.टी.यू. द्वारा कॉलेज से 2018 में मान्यता वापस ले ली गई है?
● क्या यह सत्य है की यह कॉलेज तब से बंद है और इसके संचालन के लिए अब तक किसी ने कोई याचिका नहीं डाली है?
● क्या यह सत्य है की इस सोसाइटी को विदेशी मूल के नागरिकों द्वारा चलाया जा रहा है?
● क्या यह सत्य है की देश/राज्य की शिक्षा नीति विदेशियों को शिक्षण संस्थान संचालित करने की अनुमति नहीं देती?
● क्या यह सत्य है की इस कॉलेज द्वारा नियमों का पालन नहीं किए जाने के चलते ए.के.टी.यू. ने इससे मान्यता वापस ले ली है?
● क्या यह सत्य है की लीज़ डीड में स्पष्ट लिखित है की यदि आवंटित भूमि का उद्देश्य पूरा नहीं होता है तो प्राधिकरण लाइसेंस रद्द कर सकता है और ज़मीन को परिसम्पत्तियों के साथ वापस ले सकता है?

श्री तिवारी ने कहा है की यह पूरी तरह स्पष्ट है की अधिकारियों की ओर से जेआरआरईएस की लीज़ अनुबंध रद्द किए जाने पर कुछ प्रतिरोध था अन्यथा अब तक यह काम हो गया होता। यदि लीज़ रद्द करने के लिए यह तथ्य नाकाफी है की संस्थान बंद हो चुका है, तो कम से कम इस तथ्य के आधार पर तो लीज़ रद्द की ही जानी चाहिए की विदेशी नागरिक देश के हृदय स्थल में एक शिक्षण संस्थान के संचालक बन चुके हैं। लेकिन यह साफ है की ऐसा कुछ है जो सही नहीं हो रहा है।

जेवीएम का कहना है की नोएडा प्राधिकरण की निष्क्रियता प्रदेश की शैक्षिक इंफ्रास्ट्रक्चर क्षमता को इतना नुकसान पहुंचा रही है जिसकी गणना संभव नहीं। उनकी इस निष्क्रियता से उत्तर प्रदेश के लाखों युवा तकनीकी शिक्षा एवं रोज़गार से वंचित हैं, प्रदेश की युवा शक्ति की संभावनाओं पर यह बहुत बड़ी चोट है और इस क्षति की भरपाई संभव नहीं। श्री तिवारी ने कहा इस प्रेस वार्ता के माध्यम से हम जनता और सरकार को स्थिति के बारे में जागरुक करना चाहते हैं। हम आशा करते हैं की तत्काल कदम उठा कर इस ज़मीन को मुक्त कराया जाएगा और किसी ऐसे योग्य व सक्षम संस्थान को सौंपा जाएगा जो कायदे से सफलतापूर्वक कॉलेज चला सके।

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