पाकिस्तान की एक कोर्ट ने कहा है कि किसी की अनुपस्थिति में उस पर मुकदमा चलाना नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के साथ ही इस्लामी न्याय के भी खिलाफ है। कोर्ट ने स्वनिर्वासित पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की याचिका पर विस्तार से आदेश जारी किया है। इस याचिका में मुशर्रफ ने देशद्रोह के गंभीर मामले के दोष में उन्हें सजा ए मौत सुनाए जाने के खिलाफ चुनौती दी है।
इस्लामाबाद की एक विशेष अदालत ने गत वर्ष 17 दिसंबर को 74 वर्षीय सेवानिवृत जनरल को मृत्युदंड की सजा सुनाई थी। देशद्रोह के हाई प्रोफाइल मामले में उनके खिलाफ छह वर्षों तक मुकदमा चला था। लाहौर हाई कोर्ट ने 13 जनवरी को संक्षिप्त आदेश के माध्यम से उनके मुकदमे को असंवैधानिक करार दिया था, जिससे पाकिस्तान के पूर्व सैन्य प्रमुख को सुनाई गई मौत की सजा निरस्त हो गई थी।
पाकिस्तानी दी कि लाहौर हाई कोर्ट के जस्टिस सैयद मजहर अली अकबर नकवी द्वारा लिखे गए विस्तृत फैसले में पाया गया है कि पाकिस्तान के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश और पांच उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के साथ विचार-विमर्श कर गठित की गई विशेष अदालत का संविधान में कोई प्रावधान नहीं है। बेंच ने कहा कि यह बेशक साबित होता है कि विशेष अदालत का गठन पूरी तरह अवैध/अनुचित और बगैर अधिकार के किया गया था।