भारत-अमेरिका के बीच व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की दिशा में हुई प्रगति को लेकर विस्तृत समीक्षा की गई। इस दौरान हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा को बढ़ावा देने के साझा प्रयासों पर भी चर्चा की गई। भारत के विदेश सचिव विनय क्वात्रा और अमेरिकी रक्षा उप मंत्री कैथलीन हिक्स ने इस समीक्षा बैठक में क्षेत्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर खासतौर पर बातचीत की।
क्वात्रा इस सप्ताह अमेरिका में हैं, जहां वह अमेरिकी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठकें करेंगे और रक्षा एवं प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के लिए उद्योग जगत के प्रमुखों के साथ बातचीत करेंगे। उन्होंने हिक्स के साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्र की स्थिति को लेकर अपने साझा प्रयासों पर कहा कि यहां सुरक्षा और स्थिरता प्रमुख चुनौती है और इससे निपटने के लिए संयुक्त कोशिशें जरूरी हैं।
अमेरिकी रक्षा मुख्यालय (पेंटागन) के प्रवक्ता एरिक पैहोन ने बताया, क्वात्रा और हिक्स ने भारत-अमेरिकी रक्षा साझेदारी को मजबूत करने की प्राथमिकताओं पर जोर देते हुए द्विपक्षीय रक्षा औद्योगिक सहयोग के अमल के तरीकों को अहम बताया। एक आधिकारिक बयान के अनुसार दोनों अधिकारियों ने स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के समर्थन में प्रमुख रक्षा साझेदारी में ऐतिहासिक तेजी को भी रेखांकित किया।
लड़ाकू जेट इंजन, बख्तरबंद वाहन उत्पादन की सराहना
क्वात्रा और हिक्स ने लड़ाकू जेट इंजन और बख्तरबंद वाहनों के सह-उत्पादन को आगे बढ़ाने के लिए दोनों देशों के प्रयासों की सराहना की। साथ ही अमेरिकी व भारतीय उद्यमियों व निवेशकों के बीच नवाचार तथा साझेदारी को बढ़ावा देने की कोशिशों को सराहा।
सैन्य भागीदारी का दायरा बढ़ाने पर चर्चा
पेंटागन प्रवक्ता एरिक पैहोन ने कहा कि क्वात्रा और हिक्स ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा-स्थिरता बढ़ाने के साझा प्रयासों के साथ सैन्य भागीदारी का दायरा बढ़ाने के महत्व पर भी चर्चा की। उन्होंने क्षेत्र चीन के आक्रामक बर्ताव व खुले- स्वतंत्र हिंद-प्रशांत की प्रतिबद्धता पर भी बात की।
रक्षा व ऊर्जा मंत्रालय के अफसरों से भी मुलाकात
अपनी अब तक की यात्रा के दौरान क्वात्रा ने भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी पर सर्वाधिक जोर दिया। क्वात्रा ने प्रबंधन एवं संसाधन के लिए उप विदेश मंत्री रिचर्ड वर्मा, कर्ट कैंपबेल तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठकें कीं। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद, रक्षा मंत्रालय और ऊर्जा मंत्रालय के प्रमुख अफसरों से भी चर्चा की।