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जानें, नागरिकता संशोधन विधेयक का क्यों हो रहा है विरोध ?

गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन बिल को विपक्षी पार्टियों के पुरजोर विरोध के बावजूद भी लोकसभा में पेश किया। बिल को लेकर हाउस में जमकर हंगामा हुआ। शोर सरावे के बीच ये बिल पास हुआ।

लोकसभा में पास होने के बाद अब ये बिल बुधवार को राज्य सभा में पेश किया जाएगा। सीएबी (CAB) अगर कानून बन जाता है, तो पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धर्म के आधार पर उत्पीड़न झेल रहे हिन्दू, सिख, ईसाई, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों को भारतीय नागरिकता हासिल हो जाएगी।

ये हैं पूर्वोत्तर के लोगों की मांग
इस बिल को लेकर पुर्वोत्तर राज्यों में पुरजोर विरोध हो रहा है, वहां के नागरिकों का मानना है कि बिल के लागू होते ही वे अपने ही राज्य में अल्पसंख्यक होकर रह जाएंगे। ये उनकी संस्कृति पर एक तरह से प्रहार है जो उनसे उनकी पहचान छीन लेगा। इस बिल के चलते पूर्वोत्तर के लोगों की पहचान, और आय के साधनों पर संकट आ जाएगा। प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा, “जब अरूणाचल प्रदेश, मिजोरम और नागालैंड को नागरिक संशोधन विधेयक से बाहर रखा जा सकता है तो हमारे साथ सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है?”

इन राज्यों में लागू नहीं होगा CAB
लोकसभा में बिल को लेकर हो रही जोरदार बहस के बीच अमित शाह में साफ कर दिया कि ये बिल अरूणाचल प्रदेश, मिजोरम, नागालैंड ( दीमापुर को छोड़कर), त्रिपुरा (करीब 70%) के साथ पूरे मेघालय में यह कानून मान्य नहीं होगा। उन्होंने बिल को लेकर कहा, उत्तरपूर्व के राज्यों को सीएबी ने डरने की कोई जरूरत नहीं है।

शिवसेना ने किया बिल का समर्थन
सीएबी बिल को लेकर कभी एनडीए की साथी रही शिवसेना ने भी इस बिल का समर्थन किया है, वहीं कांग्रेस व एनसीपी सहित अन्य विरोधी पार्टी इस बिल का जमकर विरोध कर रही है। इन पार्टियों का मानना है कि केंद्र सरकार देश को धर्म के आधार पर तोड़ने का प्रयास कर रही है।

नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों में संशोधन
बता दें कि नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों में संशोधन कर ये बिल लाया गया है। इस संशोधन में मुख्यत: किसी को भी नागरिकता किस आधार पर दी जाए इन प्रवाधानों में सोंशधन किया गया है। इस प्रकार के संशोधन के द्वारा मुस्लिम राष्ट्रों जैसे पाकिस्तान, बांग्लादेश, और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए बिना किसी वैध दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया जाएगा। जिसके चलते गैर मुस्लिम लोगों के लिए भारतीय नागरिकता हासिल करने का रास्ता साफ हो जाएगा।

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