दीपक Deepak या रोशनी की बात की जाये तो हर किसी के लिए उजाला महत्वपूर्ण होता है। लेकिन अगर सनातन धर्म में पूजा प्रतिष्ठान आदि की बात करें तो दीपक का स्थान और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है।
जानें पूजा में Deepak का स्थान
ये लगभग सभी जानतें हैं कि बिना दीपक Deepak के तो पूजा की कल्पना भी नहीं की जा सकती है,लेकिन ये क्यों किया जाता है इसका तर्कसम्मत उत्तर शायद ही किसी के पास हो, या यूँ कहें की बहुत कम ही लोग इस बारे में शास्त्र सम्मत सच जानते हैं।
दरअसल सृष्टि में सूर्यदेव को जीवन-ऊर्जा का स्रोत माना गया है और पृथ्वी पर अग्निदेव को सूर्यदेव का परिवर्तित रूप कहा गया है। इसी कारण जीवन प्रदान करने वाली जीवन-ऊर्जा को केंद्रीभूत करने के लिए दीप प्रज्वलित होने वाली अग्नि के रूप में सूर्यदेव को देव-पूजन आदि में अनिवार्य रूप से सम्मिलित किया जाता है।
शारीरिक संरचना के 5 प्रमुख तत्वों में अग्नि का प्रमुख स्थान है। ऐसा कहा जाता है कि अग्निदेव की उपस्थिति में उन्हें साक्षी मानकर किए गए कार्यों में सफलता अवश्य मिलती है और प्रज्वलित दीप में अग्निदेव वास करते हैं। यही कारण है की पूजा में दीपक को अतिमहत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।