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खुन खुनजी गर्ल्स डिग्री कॉलेज में अंबेडकर जयंती पर व्याख्यान का आयोजन

लखनऊ। आज खुनखुन जी गर्ल्स डिग्री कॉलेज में प्राचार्या प्रो अंशु केडिया के निर्देशन में डॉ भीमराव अम्बेडकर जयंती के अवसर पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। व्याख्यान का शीर्षक महिला सशक्तिकरण पर डॉ भीमराव अम्बेडकर की भूमिका पर प्रो आशुतोष व्यास, अध्यक्ष राजस्थान समाजशास्त्रीय परिषद एवं प्राचार्य डॉ भीमराव अम्बेडकर पीजी महाविद्यालय, चित्तौड़गढ, राजस्थान ने अपने विचार रखे।

खुन खुनजी गर्ल्स डिग्री कॉलेज में अंबेडकर जयंती पर व्याख्यान का आयोजन

प्रो व्यास ने बताया की बाबा साहब ने महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कितने कार्य किये जैसे मातृत्व अवकाश की शुरुआत, समान मताधिकार का प्रयोग, पर्दा प्रथा का विरोध, बाल-विवाह का विरोध, देवदासी प्रथा का विरोध, महिलाओं को पिता की संपत्ति में बराबर का हक़, महिलाओं पर अत्याचारों का विरोध एवं दलित महिला सम्मेलन का आयोजन किया।

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उन्होंने महिलाओं को संगठित होने का भी आह्वान किया। 19951 में संसद में हिन्दू कोड बिल पारित कराने का भी प्रयास किया ताकि महिलाओं को सदियों से वंचित अधिकार मिल सके।

बाद में प्रथम लोक चुनाव के बाद हिन्दू कोड बिल को कई हिस्सों में बांटकर कई एक्ट बनाए गए जैसे हिन्दू विवाह अधिनियम 1955, हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम 1956, हिन्दू दत्तक ग्रहण और पोषण अधिनियम आदि।

खुन खुनजी गर्ल्स डिग्री कॉलेज में अंबेडकर जयंती पर व्याख्यान का आयोजन

प्रो अंशु केडिया ने अध्यक्षीय उदबोधन में डॉ बीआर अम्बेडकर की पत्नी रामाबाई के बारे में अत्यंत भावपूर्ण जानकारी दी की कैसे उन्होंने अपने पति को गरीबी के कारण अपने परिवार पर पड़ने वाले कष्टों से दूर रखा जिससे उनके अध्ययन एवं समाज सुधार के रास्ते में कोई रूकावट न आने पाए।

गोबर के उपले बेचकर किसी तरह घर चलाया। गरीबी और बीमारी से बच्चों को दम तोड़ते देखा लेकिन सदैव संयम और समर्पण की भावना से जीवन के अंतिम क्षणों तुक बाबा साहब का साथ दिया।

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डॉ अम्बेडकर ने अपनी किताब थाॅट्स ऑन पाकिस्तान को अपनी पत्नी को समर्पित करते हुए लिखा कि उन्हें मामूली भीमा से डॉ अम्बेडकर बनाने का श्रेय रमाबाई को जाता है।

कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ रत्ना शुक्ला द्वारा किया गया। अंत में प्रो बीना यादव द्वारा सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया गया। कार्यक्रम में डॉ विजेता दीक्षित, अनुपमा श्रीवास्तव एवं छात्राएं उपस्थित रहीं।

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