लखनऊ। देश के किसानों को भ्रमित करने और भावनात्मक मुद्दों को भुनाने में माहिर मानी जाने वाली भाजपा और सांप्रदायिक ताकतें एक हो चुकी हैं। इस मुद्दे पर लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी सुनील सिंह ने लखनऊ के केंद्रीय कार्यालय 8 माल एवेन्यू में एक प्रेसवार्ता के दौरान कहा है कि 2017 में हुए उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने मुजफ्फरनगर के दंगों को भुनाया था। वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में पुलवामा आतंकी हमले को भी भुनाने की कोशिश की थी।
भाजपा के मंत्री से लेकर मुखिया तक ने कहा- क्या ये किसान उनके लिए मरे हैं?
सुनील सिंह ने आगे कहा कि एक साल तक नये कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन चला। किसान आंदोलन में दम तोड़ने वाले 700 किसानों के बारे में भाजपा सरकार के मंत्री से लेकर मुखिया तक ने कहा था कि क्या ये किसान उनके लिए मरे हैं? मतलब आंदोलित किसानों के प्रति सरकार के मन में कोई सहानुभूति नहीं थी। वैसे भी जब उन्होंने नये कृषि कानून वापस लिये तो आंदोलित किसानों को ‘कुछ किसान’ बोला था। अब जब किसान बदले की आग में भाजपा सरकार को इस चुनाव में बाहर का रास्ता दिखाने वाली है तो किसान प्रेम कहाँ से जाग गया? सुनील सिंह ने कहा है कि किसानों से नफरत होने का फल किसान और जनता 2022 विधानसभा के चुनाव में दिखाने वाली है। चुनावी माहौल को अपने पक्ष में करने में माहिर माने जाने वाले भाजपा विधायक दौड़ाए जा रहे हैं। रैली करने जा रहे विधायकों को किसान दौड़ा-दौड़ा कर भाजपा प्रेम दिखा रहे हैं।
Report – Anshul Gaurav