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हुस्न जालसाज़ : मोबाइल के शौकीनों को लिंक पड़ रहा भारी, हनीट्रैप के ज़रिए हो रही लव-लूट

नए दौर के नए ज़माने के साथ तकनीक का माध्यम इतना प्रचलित हो गया है कि लोगो को सही-गलत में अंतर नज़र नहीं आ रहा है और जब वो इसका शिकार हो जाते हैं, तो सिवाए पछताने के उनके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं बचता। लखनऊ ही नहीं उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में मोबाइल रखने के शौकीनों को इस ट्रैप का सामना करना अक्सर महंगा पड़ जाता है। वजह ये है कि एक क्लिक में आपकी स्क्रीन और मोबाइल का हर वो सिस्टम का काम-काज सेकेंडो तक एक अज्ञात व्यक्ति तक पहुंच जाता है। फिर, वो व्यक्ति वो करना चाहता है, कर के चला जाता है | जिसके बाद, लव-लूट का ये एंगेल आपको बर्बादी की कगार पर छोड़ देता है।

साइबर क्राइम सेल के एसआई शिशिर यादव बताते हैं कि साइबर फ्रॉड सोशल मीडिया साइट्स के ज़रिये आईडी बनाकर इंटर-जेंडर दोस्ती करने के लिए फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजते हैं और बाद में एक्सेप्ट होने के बाद नजदीकी बनाते है और मैसेंजर के ज़रिये पर्सनल होने का प्रयास भी करते है। फिर नजदीकी बढ़ाने के लिए एक वीडियो दिखाते है, जिसके बाद होता है आपसी नज़दीकी के पास होने का एहसास।

साइबर एक्सपर्ट बताते है की लिंक बनाते के लिए साइबर क्रिमिनल को महज़ 1 से 2 मिनट का समय लगता है जिसको भेजने के बाद वो सारे अप्रूवल आपसे लेने लगता है और मनोउत्तेजित होने के चलते आप सभी पर allow के बटन पर क्लिक करते हुए उस तक पहुंचना चाहते है और उसकी के बदले मोबाइल फ़ोन के माइक्रोफोन, कॉन्टेक्ट्स, गैलरी, कैमरा, लोकेशन समेत कई एप्प की अनुमति उसे आप द्वारा अनजाने में मिल जाती है जिसके बाद शुरू होता है साइबर फ्रॉड का असली खेल।

साइबर एक्सपर्ट के मुताबिक वल्गर स्क्रीन चलाकर उस पर अश्लील वीडियो दिखाते है ताकि मोबाइल में लिंक खोलकर मज़ा लेने के चक्कर में लोग उसे देखने लगते है लेकिन उनको ये नहीं पता होता की लिंक को खोलने के चक्कर में पता नहीं कितनी बार उन्होने अपने मोबाइल के एक्सेस का allow ऑप्शन किस-किस के लिए कितनी बार दिया और फिर उसके बाद होती है फ्रंट कैमरे से मोबाइल की रिकॉर्डिंग।

एसआई शिशिर स्यादव बताते है की साइबर फ्रॉड अक्सर पूरा होने के बाद मोबाइल धारक को एक वीडियो भेजते है जो कुछ सेकण्ड्स का होता है उसमे वो उसको वाइरल करने के नाम पर मोटी रकम मांगते है और न देने पर उन्हें के कॉन्टेक्ट्स पर उसे वाइरल करने की धमकी देने लगते है।

साइबर क्राइम सेल के एसआई शिशिर यादव के मुताबिक जो भी मोबाइल धारक अपना मोबाइल सोशल मीडिया के रूप में अक्सर इस्तेमाल करते है वो लोग प्राइवेसी पर ज़्यादा ध्यान दे किसी अंजान से अगर दोस्ती करते भी है तो उसे अपनी हर चीज़ न बताये साथ ही किसी भी भेजे गए लिंक्स या ख़ास तौर ऐड पर क्लीक न करे।

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