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LU में “राशी’25” संपन्न, विभिन्न सत्रों में हुई ज्ञान-विज्ञान की बातें

लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University ) के अभियांत्रिकी एवं तकनीकी संकाय में आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन “राशी’25” का भव्य समापन हुआ। राशी’25 में कई सत्र आयोजित किए गए। भौतिक विज्ञान ट्रैक में प्रोफेसर अजीत एम. श्रीवास्तव (इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स, भुवनेश्वर) की अध्यक्षता में प्रोफेसर सुजीत अग्रवाल ने विज्ञान और विकसित भारत पर व्याख्यान दिया। मुख्य अतिथि सिद्धार्थ वर्मा ने “राशी’25” को विज्ञान और मानवता का संगम तथा नए भारत की वैज्ञानिक क्रांति का प्रारंभ बताते बताया।

राशी’25 में प्रोफेसर शिखा वर्मा ने नैनो-हाइब्रिड्स और डीएनए सेंसर पर, डॉ. सी.आर. गौतम ने बायोमेडिकल अनुप्रयोगों के लिए सिरेमिक्स और पॉलीमर आधारित कम्पोजिट पर, डॉ. अमरेंद्र कुमार ने जैविक रूप से महत्वपूर्ण आणविक प्रणालियों के क्वांटम रासायनिक अध्ययन पर और प्रोफेसर शेफाली वैद्य ने लचीले और प्रकाशमान Au(I)-थायोलेट समन्वय बहुलक फाइबर पर ऑनलाइन व्याख्यान दिए। रासायनिक विज्ञान में दो सत्र हुए।

इसी तरह गणित विज्ञान में तीन क्रमिक सत्र हुए – पहला प्रोफेसर पंकज श्रीवास्तव (एमएनएनआईटी इलाहाबाद) की अध्यक्षता में जिसमें प्रोफेसर राजेंद्र प्रसाद ने रीमैनियन सबमर्शन पर, दूसरा प्रोफेसर पंकज माथुर की अध्यक्षता में जिसमें उन्होंने लैकुनरी और पाल टाइप इंटरपोलेशन प्रक्रियाओं पर, और तीसरा प्रोफेसर सत्य देव (इलाहाबाद विश्वविद्यालय) की अध्यक्षता में जिसमें उन्होंने “चैनल्स एवं बेलनाकार खोल के माध्यम से विभिन्न द्रवों के बहुचरणीय प्रवाह” पर मुख्य व्याख्यान दिया। इसी तरह मानविकी के अंतर्गत तीन महत्वपूर्ण सत्रों का आयोजन किया गया।

भाषाविज्ञान एवं अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान सत्र में प्रोफेसर आर.पी. सिंह ने अध्यक्षता करते हुए “भाषा संकेतों का अर्थान्वयन: भाषा, भाषाविज्ञान और अंतर्विषयकता” विषय पर अपना मुख्य व्याख्यान प्रस्तुत किया। मानविकी एवं प्रबंधन विषयक सत्र की अध्यक्षता प्रो. संगीता साहू ने की, जिन्होंने “औद्योगिक क्रांति और विकसित प्रबंधन रणनीतियों” पर अपने विचार प्रस्तुत किए। तृतीय सत्र दलित, जनजातीय एवं महिला साहित्य पर केंद्रित था।

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सम्मेलन के दूसरे दिन की समाप्ति विश्वकर्मा सभागार में आयोजित वैलेडिक्टरी व्याख्यान में विद्वानों ने अपने विचार प्रस्तुत किए। प्रोफेसर वी पी सिंह ने “यात्रा साहित्य: विभिन्न विषयों के बीच सीमाओं का विस्तार” विषय पर अपना व्याख्यान दिया तथा प्रोफेसर अनिल मिश्रा ने “डिजिटल युग में तनाव प्रबंधन – सरल दृष्टिकोण” पर अपना ज्ञानवर्धक व्याख्यान प्रस्तुत किया। सत्र का समापन प्रोफेसर पुष्पेंद्र त्रिपाठी के “डेंड्राइमर आधारित नैनोमेडिसिन” विषय पर दिए गए महत्वपूर्ण व्याख्यान के साथ हुआ। समारोह में 150 से अधिक प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र वितरित किए गए। संयोजक डॉ. दीपक गुप्ता के धन्यवाद ज्ञापन और राष्ट्रगान के साथ इस ऐतिहासिक सम्मेलन का समापन हुआ।

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