उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि संगठित अपराध किसी ‘‘खास राज्य’’ तक सीमित नहीं है और कोई निचली अदालत कठोर मकोका लगाने के लिए अपराधियों के खिलाफ राज्य के बाहर दायर किए गए आरोपपत्रों का संज्ञान ले सकती है। महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून (मकोका) संगठित अपराधों पर रोक लगाने के लिए अपराधियों के खिलाफ लगाया जाता है। यह कानून दिल्ली में भी लागू है। न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने उक्त टिप्पणी उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार की अपील पर सुनवाई करते हुए की।
उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के कथित गैंगस्टर बृजेश सिंह को कई आधारों पर मकोका के तहत आरोपों से आरोप मुक्त करने के निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा था। इन आधारों में एक आधार संगठित अपराध गिरोह चलाने को लेकर आरोप पत्र राष्ट्रीय राजधानी के बाहर दायर करना भी शामिल था। शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि मकोका की धारा 2 (डी) में दिया गया शब्द ‘सक्षम अदालत’ दिल्ली में अदालतों तक सीमित नहीं है और सतत गैर कानूनी गतिविधि स्थापित करने के उद्देश्य के लिये अन्य राज्यों में दायर आरोपपत्रों का भी संज्ञान लिया जा सकता है।
Tags Competent Court Maharashtra Organized Crime Control Act National Capital Special State supreme court Uttar Pradesh
Check Also
‘महायुति के प्रति मतदाताओं के लगाव से वोट प्रतिशत में हुई वृद्धि’, फडणवीस का सरकार बनाने का दावा
मुंबई। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्य विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी ...