कानपुर नगर। राष्ट्रीय फाइलेरिया दिवस के अवसर पर ब्लॉक घाटमपुर के गाँव भद्रस और ब्लॉक कल्याणपुर के गाँव सचेंडी के प्राथमिक विद्यालय में फाइलेरिया नेटवर्क सदस्य रामावती और कैलाश द्वारा विद्यालय में उपस्थित बच्चों को फाइलेरिया बीमारी के प्रसार, बचाव और फाइलेरिया में सामूहिक दवा सेवन अभियान (एमडीए) के महत्व को बताया गया। साथ ही साथ वर्तमान स्थितियों को देखते हुए डेंगू के बचाव के बारे में भी बताया गया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार #फाइलेरिया उन संक्रामक रोगों में से एक है जिससे देश में प्रति वर्ष काफी लोग प्रभावित हो रहे हैं। फाइलेरिया जिसे हाथीपांव से भी जाना जाता है, यह मादा क्यूलैक्स मच्छर के काटने से फैलने वाला एक दर्दनाक रोग है। इसमें संक्रमित व्यक्ति के शरीर का प्रभावित हिस्सा विकलांग हो सकता है।
छात्रों को अवगत कराया गया कि फाइलेरिया सही नहीं हो सकता है लेकिन इससे ग्रस्त व्यक्ति दवा का पूरा सेवन और प्रभावित अंग की देखरेख करके रोग को बढ़ने से नियंत्रित कर सकता है। वह एक समान्य जीवन जी सकता है। दवाई की #खुराक पूरी नहीं करने पर यह रोग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए नुकसानदायक है। सभी सरकारी चिकित्सा केन्द्रों पर दवा निःशुल्क उपलव्ध है।
इस दौरान प्रधानाध्यापक शीला कुमारी, अध्यापिका विनीता कमल, निर्मला श्रीवास्तव, दीपिका मिश्रा, संध्या सिंह सहित सेण्टर फार एडवोकेसी एंड रिसर्च से प्रसून द्विवेदी और अन्य लोग उपस्तिथ रहे।
लक्षण दिखें तो डाक्टर से संपर्क करें
जिला मलेरिया अधिकारी एके सिंह का कहना है कि यदि ज्यादा दिनों तक बुखार रहे, पुरुष के जननांग में या महिलाओं के स्तन में दर्द या सूजन रहे और खुजली हो, हाथ-पैर में भी सूजन या दर्द रहे तो यह फाइलेरिया होने के लक्षण हैं। तुरंत चिकित्सक से संपर्क कर जाँचकराये।
मरीज नियमित रूप से बताये गए दवा का सेवन करें और सामूहिक दवा सेवन (एमडीए) अभियान के दौरान अपने परिवार और आसपास के लोग को दवा का सेवन जरूर करने के लिए प्रेरित करें। साल में एक बार और लगातार पांच साल तक एमडीए अभियान में दवा के सेवन से कोई भी व्यक्ति आजीवन फाइलेरिया के खतरे से मुक्त हो सकता है।दवा के सेवन से माइक्रो फाइलेरिया को खत्म कर रोग को बढ़ने से रोकाजा सकता है।अभियान के दौरान दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को दवा नहीं खिलायी जाती।
आहार और सफाई का रखें ख्याल
फाइलेरिया मच्छरों के काटने से होता है। मच्छर गंदगी में पैदा होते हैं। इसलिए इस रोग से बचना है, तो आस-पास सफाई रखना जरूरी है। दूषित पानी, कूड़ा जमने ना दें, जमे पानी पर कैरोसीन तेल छिड़क कर मच्छरों को पनपने से रोकें, सोने के समय मच्छरदानी का उपयोग करें। एक तरफ जहां मरीजों का उपचार एवं प्रबंधन तो दूसरे तरफ ज्यादा से ज्यादा लोगों को साल में एक बार दवा का सेवन कराना आवश्यक है।
रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर