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मंत्री राकेश सचान ने एमएसएमई विभाग की 90 दिनों की कार्ययोजना की समीक्षा की, उद्यमिता को बढ़ावा देने पर दिया जोर

Lucknow,(दया शंकर चौधरी)। प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम, खादी एवं ग्रामोद्योग, रेशम उद्योग, हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग मंत्री राकेश सचान (Rakesh Sachan) ने सोमवार को निर्यात भवन सभागार, लखनऊ में एमएसएमई विभाग की 90 दिनों की कार्ययोजना की विस्तृत समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप विभागीय योजनाओं का लाभ हर पात्र व्यक्ति तक पहुंचे, इसके लिए व्यापक प्रचार-प्रसार और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जाए। मंत्री ने जोर दिया कि लोगों को योजनाओं की जानकारी और लाभ प्राप्ति में किसी भी तरह की बाधा न आए, इसके लिए व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी और सुगम बनाया जाए।

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मंत्री राकेश सचान ने एमएसएमई विभाग की 90 दिनों की कार्ययोजना की समीक्षा की, उद्यमिता को बढ़ावा देने पर दिया जोर

समीक्षा के दौरान मंत्री सचान ने प्रमुख योजनाओं जैसे मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान (Chief Minister Yuva Udyami Vikas Abhiyan), एक जनपद एक उत्पाद (ओडीओपी), और मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना की प्रगति की गहन समीक्षा की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान में अधिक से अधिक युवाओं को शामिल करने के लिए बैंकों, शैक्षिक संस्थानों और स्टेकहोल्डर्स के साथ सघन समन्वय स्थापित किया जाए।

इसके लिए शैक्षिक संस्थानों जैसे आईआईटी, एकेटीयू, एचबीटीयू, लखनऊ विश्वविद्यालय और एमिटी विश्वविद्यालय के सहयोग से युवा उद्यमी कॉन्क्लेव-2025 का आयोजन अप्रैल 2025 के अंतिम सप्ताह में कानपुर और लखनऊ मंडलों में प्रस्तावित है। इस कॉन्क्लेव में फ्रेंचाइजी बिजनेस, मशीनरी सप्लायर्स और बिजनेस ऑन व्हील्स से जुड़े विशेषज्ञ युवाओं को बिजनेस मॉडल प्रस्तुत करेंगे और उनके पंजीकरण को प्रोत्साहित करेंगे।

मंत्री ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान के तहत 1.50 लाख लाभार्थियों को लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है। आगामी 90 दिनों में कम से कम 50,000 स्वीकृतियां और 40,000 ऋण वितरण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए। इसके अलावा, पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 के 46,761 लंबित आवेदनों पर स्वीकृति और 13,704 लंबित मामलों में ऋण वितरण की प्रक्रिया त्वरित गति से पूरी की जाएगी। उन्होंने बैंकों के राज्य प्रमुखों और नोडल अधिकारियों के साथ मासिक समीक्षा बैठकें आयोजित करने और मंडलीय स्तर पर विभागीय अधिकारियों, स्टेकहोल्डर्स व बैंकों के साथ सघन समीक्षा करने पर जोर दिया।

मंत्री सचान ने जिला उद्योग अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे जिलाधिकारियों के साथ समन्वय कर विभाग की योजनाओं के लिए जमीन की उपलब्धता सुनिश्चित करें। हस्तशिल्पियों और लघु उद्यमियों के लिए पुरस्कार, पेंशन और प्रशिक्षण योजनाओं की प्रगति की भी समीक्षा की गई। उन्होंने कहा कि इन योजनाओं के तहत बजट स्वीकृतियों को समय पर जारी कराया जाए और जनपदों को लक्ष्य आवंटित किए जाएं।

मंत्री राकेश सचान ने एमएसएमई विभाग की 90 दिनों की कार्ययोजना की समीक्षा की, उद्यमिता को बढ़ावा देने पर दिया जोर

मंत्री सचान ने कहा कि ये प्रयास न केवल उद्यमिता और स्वरोजगार को बढ़ावा देंगे, बल्कि उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। उन्होंने सभी संबंधित विभागों और स्टेकहोल्डर्स से समन्वय और समयबद्ध कार्रवाई की अपील की, ताकि प्रदेश के युवाओं और उद्यमियों को हर संभव सहायता मिल सके। यह कार्ययोजना प्रदेश के औद्योगिक और ग्रामीण विकास में मील का पत्थर साबित होगी।

प्रमुख सचिव आलोक कुमार (Principal Secretary Alok Kumar) ने कहा कि ओडीओपी और मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के तहत वार्षिक लक्ष्य का 20 प्रतिशत स्वीकृति और वितरण पहली तिमाही (अप्रैल 2025 से जून 2025) में सुनिश्चित किया जाएगा। ग्रामीण स्तर पर एसआरएलएम के सहयोग से 5,000 सोलर शिप कम सर्विस सेंटर स्थापित करने और विभागीय पोर्टल को और अधिक यूजर-फ्रेंडली बनाने की योजना पर भी चर्चा हुई। पोर्टल पर लाभार्थियों और मशीनरी सप्लायर्स के बीच ऑनलाइन कनेक्टिविटी और कोटेशन की सुविधा प्रदान करने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

आयुक्त एवं निदेशक उद्योग के० विजेन्द्र पांडियन (Commissioner and Director Industries K. Vijayendra Pandian) ने बताया कि कार्ययोजना के अन्य पहलुओं में यूनिटी मॉल के निर्माण, एमएसएमई नीति-2022 के तहत ऑनलाइन आवेदनों का समयबद्ध निस्तारण, और औद्योगिक पार्कों के विकास के लिए निजी निवेशकों को आर्थिक सहायता प्रदान करना शामिल है। मंत्री ने ओडीओपी को विकास के अगले स्तर पर ले जाने के लिए ODOP 2.0 की कार्ययोजना और One District One Cuisine (ODOC) की शुरुआत की जाएगी, जिसका उद्देश्य जनपदों के विशिष्ट खाद्य पदार्थों को पहचान देना और औपचारिक अर्थव्यवस्था में शामिल करना है।

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