मुंबई: मुंबई नागपुर के नगर आयुक्त ने दंगे के दो आरोपियों का घर ध्वस्त करने के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी है। उन्होंने कहा कि उन्हें संपत्तियों को ध्वस्त करने के संबंध में उच्चतम न्यायालय के निर्देशों की जानकारी नहीं थी।
नागपुर नगर निगम (एनएमसी) के आयुक्त अभिजीत चौधरी ने मंगलवार को उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ के समक्ष दाखिल हलफनामे में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के बारे में महाराष्ट्र सरकार से नागपुर नगर निगम को कोई परिपत्र प्राप्त नहीं हुआ है। उन्होंने हलफनामे में कहा कि नगर निकाय के अधिकारी उच्चतम न्यायालय के आदेश से अनभिज्ञ थे, जिसमें दंगा आरोपियों से जुड़ी संपत्तियों को ध्वस्त करने से पहले तय प्रक्रिया को अपनाने का निर्देश दिया गया है।
दो सप्ताह में सरकार से मांगा जवाब
न्यायमूर्ति नितिन साम्ब्रे और न्यायमूर्ति वृषाली जोशी की पीठ ने इस मामले में जवाब देने के लिए महाराष्ट्र सरकार को दो सप्ताह का समय दिया है। छत्रपति संभाजीनगर जिले में मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर विश्व हिन्दू परिषद द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन के दौरान धार्मिक लेख वाली चादर को जलाए जाने की अफवाह के बाद 17 मार्च को नागपुर के कुछ हिस्सों में हिंसा हुई थी।
कोर्ट ने लगाई फटकार
हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने 24 मार्च को हिंसा मामले के मुख्य आरोपी फहीम खान और अन्य आरोपियों के घरों को ध्वस्त करने पर रोक लगाने का आदेश दिया, और प्रशासन को ‘ज्यादती’ पर फटकार लगाई। आरोपियों पर देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया है।
हालांकि, खान के दो मंजिला मकान को 24 मार्च की दोपहर में उच्च न्यायालय द्वारा आदेश पारित करने से पहले ही ध्वस्त कर दिया गया था, लेकिन अधिकारियों ने अदालत के निर्देश के बाद अन्य आरोपी यूसुफ शेख के मकान के ‘अवैध’ हिस्से को गिराने का काम रोक दिया था।