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श्री मद्भागवत कथा के अंतिम दिवस कृष्ण-सुदामा व परीक्षित मोक्ष का सुनाया प्रसंग, भागवत प्रेमियों का उमड़ा जनसैलाब

बुधवार को हवन पूजन के बाद विशाल भंडारा किया जायेगा आयोजित

बिधूना/औरैया। कस्बा के बेला रोड स्थित नदी पुल पर आयोजित की जा रही श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन श्रीमद्भागवत का रसपान पाने के लिए भक्तों का सैलाब कथा स्थल पर उमड़ पड़ा। चारुशिला मंदिर जानकीघाट श्रीअयोध्या धाम से पधारे कथावाचक श्री बल्लभाचार्य जी महाराज ने श्रीमद्भागवत कथा का समापन करते हुए कई कथाओं का भक्तों को श्रवण करवाया, जिसमें प्रभु कृष्ण के 16108 शादियों के प्रसंग के साथ, सुदामा प्रसंग और परीक्षित मोक्ष की कथाएं सुनाई।

कथावाचक श्री बल्लभाचार्य जी महाराज

उन्होंने बताया सुदामा जी के पास कृष्ण नाम का धन था। संसार की दृष्टि में गरीब तो थे, लेकिन दरिद्र नहीं थे। अपने जीवन में किसी से कुछ मांगा नहीं। पत्नी सुशीला के बार-बार कहने पर सुदामा अपने मित्र कृष्ण से मिलने गए। भगवान के पास जाकर भी कुछ नहीं मांगा। भगवान अपने स्तर से सब कुछ दे देते हैं। सुदामा चरित्र के माध्यम से भक्तों के सामने दोस्ती की मिसाल पेश की और समाज में समानता का संदेश दिया। इसके उपरांत दत्तात्रेय जी के चौबीस गुरुओं के बारे में बताया।

कथावाचक श्री बल्लभाचार्य जी महाराज

समापन के दौरान बल्लभाचार्य महाराज ने भक्तों को भागवत को अपने जीवन में उतारने की बात कही, जिससे सभी लोग धर्म की ओर अग्रसर हो। साथ ही भक्तों को बताया कि श्रीमद्भागवत कथा का सात दिनों तक श्रवण करने से जीव का उद्धार हो जाता है, तो वहीं इसे करवाने वाले भी पुण्य के भागी होते है।

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अंत में कथा आचार्य व उनके पूरे परिवार को आयोजको की ओर से सम्मानित किया गया। कथा के समापन के बाद बुधवार को भंडारे का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर कथा में परीक्षित बने कृष्ण मुरारी पोरवाल, कंचन पोरवाल, आयोजक लक्ष्मी नारायण पोरवाल, जयनारायण, रामप्रकाश पोरवाल, गिरजा शंकर, सीताराम, श्याम जी, रामजी, नंदू पोरवाल, संध्या पोरवाल सहित सैकड़ों कथा प्रेमी प्रांगण में मौजूद रहे।

रिपोर्ट – संदीप राठौर चुनमुन 

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