नीति आयोग के सदस्य अरविंद विरमानी का कहना है कि चीन से सामान को आयात करने की जगह अगर भारत यहां चीनी कंपनियों का निवेश कराए तो कई लाभ होंगे। इससे व्यापार बढ़ने के साथ ही स्थानीय स्तर पर निर्माण को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही निर्यात बाजार का लाभ भी मिलेगा। बजट पूर्व आर्थिक सर्वेक्षण के दौरान चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के सवाल पर उन्होंने प्रतिक्रिया दी।
विरमानी ने कहा कि भारत-चीन का व्यापार बंद है, लेकिन काफी कुछ आयात हो रहा है। अगर हम आने वाले 10-15 वर्षों तक कुछ सामान आयात कराने जा रहे हैं, तो इससे अच्छा है कि हम चीनी कंपनियों का यहां निवेश कराएं और सामान यहीं बनवाएं। उन्होंने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार अमेरिका और यूरोप अब चीन से आयात कम कर रहे हैं। ऐसे में भारत का चीन से सामान को आयात करने की बजाय चीनी कंपनियों को यहां निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। इससे चीन द्वारा भारत में बनने वाले उत्पादों को अमेरिका और यूरोप में निर्यात करके हम काफी मजबूत बन सकते हैं।
अर्थशास्त्री विरमानी ने कहा कि हमें पहले हर समय में अच्छा देखना होगा और अच्छे समय में हर श्रेणी को देखना होगा। इसके बाद व्यापार बंद का मूल्यांकन करना होगा। उन्होंने कहा कि चीन प्लस वन रणनीति का लाभ उठाने के लिए भारत के सामने दो विकल्प हैं। एक कि भारत चीन की आपूर्ति शृंखला में शामिल हो जाए। दूसरा चीन से एफडीआई को बढ़ावा दे। इसलिए भारत को चीन से आयात जारी रखने के बाद एक समझौता करना होगा।
उन्होंने कहा कि चीन से एफडीआई पर ध्यान केंद्रित करना अमेरिका में भारत के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अधिक जरूरी है। क्योंकि भारत चीन से सबसे ज्यादा सामान का आयात करता है और इन दिनों चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा बढ़ रहा है।