नई दिल्ली। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने कहा है कि दो अक्टूबर से सभी Non-listed गैर सूचीबद्ध कंपनियों को भी नए शेयर डीमैट में जारी करने होंगे। इन कंपनियों में ट्रांसफर ऑफ शेयर भी डीमैट या इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ही करना होगा। अभी सूचीबद्ध कंपनियां ही डीमैट से शेयर जारी करती हैं।
Non-listed कंपनियों पर
मंत्रालय ने कहा कि Non-listed गैर सूचीबद्ध कंपनियों पर यह कदम पारदर्शिता बढ़ाने, निवेशकों की सुरक्षा पुख्ता करने और कॉरपोरेट सेक्टर में गवर्नेंस सुधार को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है। इससे कालेधन और फर्जी कंपनियों पर लगाम लगेगी। यह फैसला ऐसे समय में किया गया है, जब मंत्रालय कालेधन पर लगाम लगाने के लिए लगातार मुखौटा कंपनियों पर कार्रवाई कर रहा है।
नए नियमों के दायरे में पब्लिक और प्राइवेट, दोनों तरह की कंपनियां आएंगी। जिन कंपनियों में 200 से ज्यादा सदस्य होते हैं, उन्हें पब्लिक कंपनी कहा जाता है। आमतौर पर शेयरधारकों को सदस्य माना जाता है।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक देशभर में 70 हजार से ज्यादा पब्लिक कंपनियां है। इन कंपनियों को कॉरपोरेट गवर्नेंस के सख्त मानकों का पालन करना होता है। नई व्यवस्था को लेकर मंत्रालय का कहना है कि कागजी सर्टिफिकेट के जरिये शेयरों के लेनदेन में कटने-फटने, चोरी होने और धोखाधड़ी जैसे जोखिम होते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक तरीके से शेयरों की खरीद-बिक्री में ऐसे जोखिम नहीं रहेंगे। इसके अलावा इससे बेनामी शेयरहोल्डिंग और फर्जी तरीके से पिछली तारीख में शेयर जारी करने जैसे मामलों पर भी लगाम लगेगी। इससे कंपनियों को शेयर ट्रांसफर पर स्टांप ड्यूटी से छूट, ट्रांसफर में आसानी जैसे कई फायदे भी होंगे।
नए नियमों के तहत किसी भी गैर सूचीबद्ध कंपनी को सिक्योरिटीज जारी करने, बायबैक करने, बोनस शेयर जारी करने या राइट्स ऑफर के लिए कुछ मानकों को पूरा करना होगा।
गैर सूचीबद्ध कंपनियों के सिक्योरिटी होल्डर की ओर से मिलने वाली शिकायतों का निपटारा इन्वेस्टर एजुकेशन एंड प्रोटेक्शन फंड (आइईपीएफ) से किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि जून, 2018 के अंत तक करीब 11.89 लाख कंपनियां सक्रिय थीं। इनमें से 71,506 पब्लिक कंपनियां और 11.10 प्राइवेट कंपनियां हैं।