• जिले में 10 अगस्त से चलेगा राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम का सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान, टीमें घर घर जाकर अपने सामने खिलाएंगी फाइलेरिया रोधी दवा।
बलरामपुर। फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले में 10 अगस्त से सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान चलाया जाने की तैयारियां जोरों पर हैं। अभियान की शत-प्रतिशत सफलता के लिए जिले के सभी ब्लॉकों में जागरूकता कार्यक्रम शुरू हो चुके हैं, जिसमें लोगों को एमडीए अभियान और इसके फायदों के संबंध में जानकारी देते हुए जागरुक किया जा रहा है। इसी के क्रम में सोमवार को जिला मुख्यालय स्थित सिटी मांटेसरी स्कूल बलरामपुर में अध्ययनरत छात्र व छात्राओं को खुद खाने और अपने घर-परिवार के साथ-साथ पड़ोसियों और रिश्तेदारों को भी दवा का सेवन करने की शपथ दिलाई गई।
पीसीआई के जिला मोबिलाईजेशन समन्वयक अतुल कुमार तिवारी ने सबसे पहले छात्राओं को फाइलेरिया, उसके लक्षणों की पहचान, बचाव व इलाज से संबंधित वीडियो और प्रजेंटेशन दिखाए, जिसके माध्यम से उन्हें बताया कि फाइलेरिया को हाथीपांव भी कहते हैं, यह मच्छर के काटने से होता है। यह व्यक्ति को कमज़ोर और अपाहिज करने वाली बीमारी है। फाइलेरिया शरीर के लटके हुए अंगों जैसे पैर, हाथ, अंडकोश और स्तन को प्रभावित करता है। व्यक्ति में मच्छर के काटने से संक्रमित होने के बाद बीमारी के लक्षण प्रकट होने में 10-15 साल लग जाते हैं। यह बीमारी ज्यादातर बचपन में लोगों को प्रभावित करती है।
राष्ट्रीय स्तर पर योगी सरकार की योजनाएं
उन्होंने बताया कि एक बार यदि फ़ाइलेरिया के लक्षण प्रकट हो जाए, तो इसका कोई इलाज संभव नहीं है। लेकिन यह बीमारी न हो इससे बचाव किया जा सकता है। संक्रमण से प्रभावित होने से बचने के लिए फ़ाइलेरिया रोधी दवा उपलब्ध है। सरकार द्वारा एमडीए अभियान के दौरान वर्ष में एक बार दवा का सेवन कराया जाता है। एमडीए अभियान में आशा/स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की टीम दवा सेवन कराने के लिए घर-घर जाती हैं। गर्भवती महिलाओं, 01 साल से कम उम्र के बच्चों और गंभीर रूप से बीमार रोगियों को छोड़कर सभी को इस दवा का सेवन करना चाहिए। फ़ाइलेरिया रोधी दवा खाली पेट नहीं खानी है, इसे खाना खाने के बाद ही खाएं।
दवा का सेवन करना पूरी तरह से सुरक्षित है। दवा सेवन के बाद कुछ लोगों को मतली, उल्टी, बुखार, खुजली, सिरदर्द जैसे दुष्प्रभावों का अनुभव हो सकता है, लेकिन ये दुष्प्रभाव सामान्य रूप से कुछ घंटों में ठीक हो जाते हैं। ये दुष्प्रभाव उन लोगों को होते हैं, जिनको माइक्रोफाइलेरिया का संक्रमण हैं। अधिक समस्या होने पर आशा/स्वास्थ्य कर्मी या नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें । उन्होंने कहा कि 10 अगस्त से आशा/स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर जाकर दवा खिलाएंगी। संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को फ़ाइलेरिया से बचाव की दवा ज़रूर खाना चाहिए।
उन्होंने पीपीटी के माध्यम से छात्राओं को फाइलेरिया के विभिन्न स्टेज की भी जानकारी दी गई। इसके बाद छात्राओं को एमडीए में दी जाने वाली दवाओं अल्बेंडाजोल और डायथाइलकार्बामाज़िन (डीईसी) दवा के संबंध में बताया कि ये दवाएं सभी को उनके उम्र के अनुसार खिलाई जाएगी। जरूरी बात यह है कि दवा लाभार्थियों को फ्रंटलाइन वर्कर्स (आशा, एएनएम, आंगनबाड़ी) के सामने ही खानी है। दवा कैसे और कितनी मात्रा में खानी है, इसके बारे में भी जानकारी दी गई। अंत में छात्राओं ने शपथ लिया कि वह 10 अगस्त को दवा का सेवन खुद करेंगी। साथ ही अपने परिवार और पड़ोसियों को भी इस दवा के महत्व के बारे में बताते हुए सेवन कराएंगी।