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कश्मीर और नागरिकता कानून पर दिए बयानों को लेकर भारत ने मलयेशिया से पाम ऑयल के आयात पर लगा दी रोक

मलयेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद दक्षिण एशिया के सबसे प्रभावशाली और सदाबहार नेता के रूप में जाने जाते हैं। लेकिन, हाल ही में उनके कश्मीर और नागरिकता कानून पर दिए बयानों को लेकर भारत ने मलयेशिया से पाम ऑयल के आयात पर रोक लगा दी। इससे माना जा रहा है कि चीन और अमेरिका के बाद अब भारत और मलयेशिया के बीच ट्रेड वॉर शुरू हो गया है। महातिर मोहम्मद शुरू से ही आक्रामक स्वभाव के नेता रहे हैं। अपनी राजनीति के शुरुआती दौर में वह सिंगापुर के नेता ली कुआन यिउ को लेकर काफी आक्रामक रहते थे, महातिर ने उन्हें घमंडी और मलेय विरोधी करार दिया। साथ ही वह पश्चिमी देशों के मुखर आलोचक रहें। उन्होंने हमेशा इस्राइल की आलोचना की और फिलिस्तीन का समर्थन किया।


इन सब चीजों को जानते हुए दक्षिण एशिया का कोई भी देश इस बात से अचरज में नहीं पड़ा जब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने पर भारत की आलोचना की। साथ ही जब नई दिल्ली नए नागरिकता कानून को लेकर आई तो उन्होंने इसकी जमकर आलोचना की और इसे मुस्लिम विरोधी बताया। लेकिन भारत ने महातिर के इस बयान को पसंद नहीं किया।

लगभग दो हफ्ते पहले रॉयटर्स ने बताया कि दुनिया में खाद्य तेलों के सबसे बड़े खरीदार भारत ने परिष्कृत पाम ऑयल के आयात को प्रतिबंधित कर दिया है। रॉयटर्स के सूत्रों ने कहा कि सभी व्यापारियों को अनौपचारिक रूप से मलयेशिया से सभी प्रकार के पाम ऑयल के आयात को रोकने के लिए कहा गया। भारत ने यह कदम महातिर द्वारा लगातार दिए जा रहे बयानों के मद्देनजर उठाया। वहीं, कुछ लोगों ने इसे भारत और मलयेशिया के बीच ट्रेड वॉर बताया है।

हालांकि, नई दिल्ली ने पाम ऑयल को लेकर मलयेशिया पर लगाए गए प्रतिबंधों का खंडन किया। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के हवाले से कहा गया था कि अगर कोई अंकुश लगाया जाता है तो यह सभी देशों पर समान रूप से लागू होगा।

भारत पिछले पांच वर्षों से मलयेशिया के पाम तेल का सबसे बड़ा खरीदार रहा है और 2019 में उसने 4.4 मिलियन टन पाम ऑयल खरीदा। मलयेशिया इंडोनेशिया के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और पाम ऑयल का निर्यातक है। जानकारों का मानना है कि भारत द्वारा कोई भी प्रतिबंध मलयेशिया को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा।

पाम ऑयल का मलयेशिया की जीडीपी में 3.8 फीसदी और लगभग 77 हजार करोड़ रुपये की हिस्सेदारी है। यह मलयेशिया के कृषि उत्पादों में सबसे अग्रणी उत्पाद है। इसलिए माना जा रहा है कि अगर भारत और मलयेशिया के बीच तनाव इसी तरह बरकरार रहा तो, दोनों देशों के बीच पाम ऑयल को लेकर ट्रेड वॉर शुरू हो सकता है।

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