आपने अक्सर सुना होगा कि भारत गांवों का देश है। महात्मा गांधी ने भी कहा था कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है। भारत की संस्कृति और खूबसूरती दिखाते गांव ही देश की असली धरोहर है।
कुछ गांव तो इतने अजब-गजब हैं कि उनके बारे में जानने को लोग बहुत दिलचस्पी रखते हैं। उनमें से ही एक गांव है पूर्वी सिंहभूम के बहरागोड़ा प्रखंड की खंडामौदा पंचायत का बड़ाडहर।
जिला मुख्यालय से 100 किमी दूर बसे इस गांव में लंबे अरसे से किसी लड़के की शादी नहीं हुई है। यहां कोई भी बाप अपनी बेटी की शादी रचाना नहीं चाहते। आलम यह है कि कुछ लड़के गांव से बाहर जाकर शादी रचा वहीं के बाशिंदे हो गये हैं। खाल नदी का जलस्तर बढ़ जाने से लोग अपने घरों में कैद हो जाते हैं। गांव टापू बन जाता है। ज्यादा बारिश आने पर बिजली भी तीन चार दिनों तक गुल हो जाती है।
बड़ाडहर में किसी लड़की की शादी होती है तो दो किमी की पैदल यात्रा कर बारात गांव पहुंचती है। दूल्हे को भी पैदल ससुराल आना पड़ता है। लोगों के बीमार होने पर मरीजों को एम्बुलेंस तक पहुंचने के लिए खाट का सहारा लेना पड़ता है। गांव में शौचालय नहीं होने के कारण लोग खुले में शौच करते हैं। उज्ज्वला गैस योजना से भी यहां के लोग अछूते हैं। ऐसे में गांव की महिलाओं को लकड़ी के चूल्हों पर खाना पकाना पड़ता है। बारिश के दिनों में महिलाएं अपने बच्चों को लेकर मायके तक चली जाती हैं।
गांव में असुविधा के कारण दूसरे गांव के लोग शादी-विवाह से कतराते हैं। यहां लोग रात में रुकना पसंद नहीं करते हैं। बारिश के दिनों में तो कोई रिश्तेदार नहीं आता हैं। अब तो यहां के लड़कों की शादी भी नहीं हो रही है।
खेतों में पानी भर जाने से मेढ़ का रास्ता भी नहीं दिखाई देता है। ऐसे में लोग बारिश से पहले सूखा राशन जमा कर देते हैं। बड़ाडहर गांव में 22 परिवारों में लगभग 228 लोग रहते हैं। इस गांव में सड़क, पानी और बिजली की गंभीर समस्या है। पगडंडी के सहारे गांव पहुंचते हैं। गांव में सरकारी चापाकल है। सोलर जलमीनार भी बेकार हो गया है। पांच सौ मीटर दूर खाल नदी में कुआं खोद पेयजल का इंतजाम करते हैं।