New Delhi (शाश्वत तिवारी)। दुनियाभर में जब भी Global South (गरीब एवं विकासशील देश) को किसी भी आपदा ने घेरा है, तब-तब भारत पहली प्रतिक्रिया देने ववले देश के तौर पर सामने आया है। हाल ही में म्यांमार में आए विनाशकारी भूकंप (Earthquake in Myanmar) के बाद, वह भारत ही है, जो संकटग्रस्त देश की सहायता के लिए सबसे पहले खड़ा नजर आया है। भारत ने सोमवार को ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ (Operation Brahma) के तहत 50 टन राहत सामग्री (50 Tonnes of Relief Material) की एक नई खेप भेजी है।
इससे पहले शनिवार को भारत ने भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए पांच सैन्य विमानों से राहत सामग्री, बचाव दल और चिकित्सा उपकरण म्यांमार भेजे थे। भारत ने बीते शुक्रवार को म्यांमार में आए 7.7 तीव्रता के भयानक भूकंप के बाद अपनी ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति और ‘ग्लोबल साउथ’ के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता दिखाते हुए तुरंत एक पूरा अभियान- ऑपरेशन ब्रह्मा शुरू कर दिया था। अभियान के तहत कई सैन्य विमान और नौसैन्य जहाज पड़ोसी देश की मदद के लिए तैयार रखे गए हैं, जोकि दवाइयां, चिकित्सा उपकरण और खाद्य सामग्री सहित अन्य जरूरी सामान म्यांमार तक पहुंचा रहे हैं।
विदेश मंत्रालय ने बताया कि भारत ने ऑपरेशन ब्रह्मा के तहत पड़ोसी देश की मदद के लिए सबसे पहले हाथ बढ़ाते हुए शनिवार को ही मदद पहुंचानी शुरू कर दी थी। भारत ने बार-बार यह साबित किया है कि वह महज एक क्षेत्रीय शक्ति ही नहीं, बल्कि वैश्विक मानवीय सहयोग का अहम स्तंभ भी है। चाहे तुर्की और सीरिया में ऑपरेशन ‘दोस्त’ हो, नेपाल में ‘ऑपरेशन मैत्री’ हो, या फिर म्यांमार व वियतनाम में ‘ऑपरेशन सद्भाव’ हो, भारत हर आपदा में जरूरतमंद तथा मित्र देशों की सहायता के लिए फर्स्ट रेस्पॉन्डर के तौर पर आगे आया है।
इसके अलावा कोरोना महामारी के दौरान, जब पूरी दुनिया संकट में थी, तब भारत ने ‘वैक्सीन मैत्री’ अभियान के तहत हर जरूरतमंद देश की खुलकर मदद की थी। पिछले कुछ वर्षों से लगातार चल रहे इस क्रम को देखते हुए यह स्पष्ट हो चुका है कि मुसीबत में मददगार बनना भारत की नीति बन चुकी है।