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Chandrayaan-2 के ऑर्बिटर ने भेजी चांद की तस्वीरें, ISRO ने की शेयर

इसरो ने चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर के कैमरे से चांद की खींची तस्वीरें शुक्रवार को जारी की है। ऑर्बिटर के हाई रिजॉल्यूशन कैमरे से खींची इन तस्वीरों में चांद की अलग ही झलक देखने को मिल रही है। इसरो ने कहा, आर्बिटर में मौजूद आठ पेलोड ने चांद की सतह पर मौजूद तत्वों को लेकर कई सूचनाएं भेजी हैं। आर्बिटर चांद की सतह पर मौजूद आवेशित कणों का पता लगा रहा है। ऑर्बिटर के पेलोड क्लास ने अपनी जांच में चांद की मिट्टी में मौजूद कणों के बारे में पता लगाया है। यह तब संभव हुआ है, जब सूरज की तेज रोशनी में मौजूद एक्स किरणों की वजह से चांद की सतह चमक उठी। कुछ दिन पहले ही ऑर्बिटर से खींची तस्वीरों के जरिए इसरो ने विक्रम लैंडर की लोकेशन मिलने की जानकारी भी दी थी। सात सितंबर को लैंडर विक्रम को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिग नहीं हो पाई थी और विक्रम से इसरो का संपर्क टूट गया। बाद में लैंडर के हार्ड लैंडिंग की पुष्टि नासा और इसरो के वैज्ञानिकों ने भी की। अभी चांद की कक्षा में चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर मौजूद है जो 7.5 साल तक अपना काम करता रहेगा।

चांद की अंधेरी सतह पर बेसुध पड़े चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम को लेकर फिर उम्मीद जगी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अपने सौर पैनलों की मदद से विक्रम फिर काम शुरू कर सकता है। दरअसल, चांद पर शनिवार से दिन की शुरुआत हो रही है। ऐसे में विक्रम को लेकर कोई अच्छी खबर आने की उम्मीद बढ़ गई है। वहीं, भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने कहा है कि चांद के आसमान में चक्कर लगा रहा चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर सोडियम, कैल्शियम, एल्युमीनियम, सिलिकॉन, टाइटेनियम और लोहे जैसे महत्वपूर्ण खनिज तत्वों का पता लगाने के लिए काम कर रहा है। इसरो के मुताबिक, ऑर्बिटर का पेलोड अपने तय मकसद के लिए बेहतर तरीके से काम कर रहा है। वहीं, विक्रम की तलाश और उससे संपर्क करने की कोशिशों में जुटी अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने कहा है कि अब तक विक्रम से कोई आंकड़ा नहीं मिला है। खगोलविद् स्कॉट टायली ने ट्वीट कर विक्रम से संपर्क की प्रबल संभावना जताई है।

उन्होंने कहा है कि विक्रम को खोजने में कामयाबी जरूर मिलेगी। बताया जा रहा है कि दिन होने के साथ ही विक्रम से संपर्क करने की कोशिशें तेज होंगी। इसरो के एक वैज्ञानिक ने बताया कि हालांकि अब विक्रम से संपर्क करना बेहद मुश्किल होगा, लेकिन कोशिश करने में कोई हर्ज नहीं है। उनसे जब यह पूछा गया कि क्या चांद पर रात के समय बहुत ज्यादा ठंड में विक्रम सही सलामत रह सकता है, तो उन्होंने कहा, सिर्फ ठंड ही नहीं, बल्कि झटके से हुआ असर भी चिंता की बात है। हार्ड लैंडिंग के चलते विक्रम तेज गति से चांद की सतह पर गिरा होगा। इस झटके के चलते विक्रम के भीतर मौजूद उपकरणों को नुकसान पहुंच सकता है। चांद के चक्कर लगा रहे नासा के लुनर रिकॉनिएसेंस ऑर्बिटर ने जो तस्वीरें भेजी थीं, चांद पर रात होने के चलते उससे तस्वीरें साफ नहीं आ पाई थीं।

इससे पहले भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के दूसरे मून मिशन चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की खराब लैंडिंग की जांच एक राष्ट्रीय स्तर की समिति (NRC)कर रही है। पिछले दिनों इसरो चीफ डॉ. के.सिवन ने यह भी साफ किया कि चंद्रयान-2 मिशन की 98 फीसदी सफलता की घोषणा उन्होंने नहीं की थी। यह घोषणा एनआरसी ने ही अपनी शुरुआती जांच के बाद की थी। एनआरसी का मानना है कि शुरुआती आंकड़ों के अनुसार हमारे मिशन में सिर्फ 2 फीसदी की ही कमी थी, 98 फीसदी मिशन सफल रहा है। उसी के आधार पर ही इसरो चीफ डॉ. के. सिवन ने लोगों से यह बात कही थी। तब इसरो चीफ डॉ. के. सिवन ने कहा था कि एनआरसी की पूरी जांच के बाद हम अपने ऑर्बिटर से मिले सभी डेटा और तस्वीरें आम जनता के लिए जारी करेंगे। रिव्यू कमेटी एनआरसी अब भी चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की खराब लैंडिंग के आंकड़ों और तस्वीरों की जांच का काम कर रही है।

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