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आपदा काल में सकारात्मक संवाद

रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

भारत में प्राचीन काल से सहज संवाद को महत्व दिया गया। इसके लिए संवेदना, समझदारी, सामाजिक हित विश्वसनीयता,शीघ्रता आदि को आधार रूप में स्वीकार किया गया। पत्रकार यही कार्य करते है। लोगों तक केवल संवाद पहुंचा देना ही पर्याप्त नहीं है,बल्कि समाज और देश के हित में भी योगदान अपेक्षित रहता है। ऐसी ही पत्रकारिता श्रेयष्कर होती है। आपदा काल में पत्रकार भी चुनौती को स्वीकार करते है। जोखिम उठाकर अपने कर्तव्यों का निर्वाह करते है। आज कोरोना आपदा है।

पत्रकार इसमें भी बिना रुके कार्य कर रहे है। अनेक प्रकार की आपदाएं अक्सर आती रहती है। बाढ़ व सूखा आपदा के सामना तो प्रतिवर्ष किसी ना किसी क्षेत्र को करना ही पड़ता है। पड़ोसी शत्रु मुल्क की किसी भी रूप में हिंसक गतिविधि भी आपदा की तरह होती है। सेना के द्वारा पत्रकारों को इसके मद्देनजर प्रशिक्षण भी दिया जाता है। इसी प्रकार आज कोरोना संकट में पत्रकार काम कर रहे है। इस संबन्ध में वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग एवं पीआर नीति के संयुक्त तत्वावधान में बेबीनार का आयोजन किया। टेलीविजन एंकरिंग एवं रिपोर्टिंग स्किल विषय पर हुई इस ऑनलाइन राष्ट्रीय संगोष्ठी में अनेक अनुभवी पत्रकारों ने अपने विचार साझा किए। संगोष्ठी में देश के विभिन्न भागों से मीडिया शिक्षक, शोधार्थी, विद्यार्थी एवं पत्रकारों ने प्रतिभाग किया। मुख्य व्याख्यान वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने दिया। उन्होंने कहा कि पत्रकार भी आपदा काल में जोखिम उठा कर काम करते है। इसलिए राज्य फ्रंट लाइन पर काम करने वालों की तरह ही पत्रकारों का भी सरकार को बीमा करना चाहिए।कोरोना महामारी के दौरान पत्रकार फील्ड में काम कर रहे है।

इस दौर में पत्रकारों ने बहुत कुछ सीखा है,अनेक नए अनुभवों से उन्हें गुजरना पड़ा है। इसके दृष्टिगत बेहतर कौशल की जरुरत है। पत्रकारों खुद को खतरे में डाल कर काम कर रहे है। इस तरह की महामारी में पत्रकारों को विशेष प्रशिक्षण देना चाहिए। नवजोत का सुझाव तक कि पत्रकारों को इन्डिपेंडेंट वाइस के आधार पर काम करना चाहिए। कोरोना महामारी के पहले भी बहुत आपदाएं आई है। पत्रकारों ने कभी खबरों को पहुंचाने में कभी कोई कमी नहीं छोड़ी। आपदा से जुडी ख़बरें सही,स्पष्ट और सच्ची होनी चाहिए। पत्रकारों के लिए यह एक बड़ी जिम्मेदारी है।

समाज भय का नहीं बल्कि सकारात्मक सोच का माहौल बनाना चाहिए। चैनल में जल्दी के चक्कर में आज गलतियाँ हो रही है। फेक न्यूज़ चर्चा में आ जाती है। एंकरिंग और रिपोर्टिंग को कौशल के आधार पर सुधारा,सँवारा जा सकता है। इसके लिए गहन अध्ययन,संवेदना व समझदारी का होना जरूरी है। प्रो एच सी पुरोहित ने सकारात्मक विचारों पर बल दिया। कहा कि इससे पत्रकारिता को उत्कृष्ट बनाया जा सकता है। विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज मिश्र ने सभी सहभागियों का स्वागत किया। विभा सिंह ने आभार और संचालन संयोजक डॉ दिग्विजय सिंह राठौर ने किया। वेबिनार के संयोजक डॉ. दिग्विजय सिंह राठौड़, आयोजन सचिव डॉ. अवध बिहारी सिंह एवं सह संयोजक डॉ. सुनील कुमार एवं डॉ चंदन सिंह रहे।

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