भारतीय महिला हॉकी टीम की कैप्टन रानी रामपाल के लिए वर्ष 2020 की आरंभ शानदार रही है. 25 जनवरी को उन्हें पद्मश्री पुरस्कार मिला तो इसके पांच दिन बाद ही वह ‘वर्ल्ड गेम्स एथीलट ऑफ द ईयर’ चुनी गईं.
वह इस सम्मान को पाने वाली पहली हॉकी खिलाड़ी हैं. उन्हें ये दोनों सम्मान हिंदुस्तान को ओलंपिक कोटा दिलाने के बाद मिले हैं, जहां रानी ने क्वॉलिफायर में विजयी गोल किया था. वह हाल ही में न्यूजीलैंड दौरे से लौटी हैं व तब से ही लगातार साक्षात्कार देने में व्यस्त हैं. खिलाड़ियों के लिए लगातार साक्षात्कार देने का मतलब है एक ही बात को लगातार बोलना.
रानी हालांकि इस बात को समझती हैं व जानती हैं कि टीम की कैप्टन होने के नाते लोग लगभर हर मौके पर उन्हें सुनना चाहते हैं. रानी ने कहा, ‘जाहिर सी बात है कि यह सरल नहीं रहता, लंबी यात्रा के बाद लगातार बात करना सरल नहीं है, लेकिन लोग आपको सुनना चाहते हैं तो इसका मतलब है कि आप अच्छा कर रहे हो. हम अपने अनुभव साझा करते हैं ताकि दूसरे लोग उनसे सीख सकें. बच्चों के तौर पर हम सभी चाहते थे कि हमारे चेहरे व नाम न्यूज में आएं. अब हमें इसकी प्रयास करनी चाहिए व लुत्फ लेना चाहिए.’
रानी कहती हैं कि ये अवार्ड बताते हैं कि हम भारतीय महिला हॉकी को आगे ले जा रहे हैं. रानी ने कहा, ‘यह कठिन सफर रहा है व ये अवार्ड एक वर्ष के प्रदर्शन के वश नहीं मिले हैं. ये बताते हैं कि हम कहां पहुंचे हैं. जब से मैंने खेलना प्रारम्भ किया है महिला हॉकी बहुत ज्यादा बदली है. यह ऐसी बात है जिसे हम आने वाले दिनों में याद रखेंगे. महिला हॉकी को लेकर अब बहुत ज्यादा जागरूकता है. लोग अब टीम को जानते हैं व मैच भी देखते हैं.’
रानी ने 14 वर्ष की आयु में 2009 में भारतीय टीम में कदम रखा था. उनसे जब पूछा गया कि तब से क्या बदला है तो उन्होंने कहा, ‘टीम के साथ मेरे शुरुआती दिनों में हमें मैच खेलने के ज्यादा मौके नहीं मिलते थे. हमें एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों का इंतजार करना पड़ता था. हम कभी कभार ही अच्छी टीमों के विरूद्ध खेलते थे.’