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रेलवे बोर्ड अध्यक्ष विनय कुमार त्रिपाठी ने जम्मू-कश्मीर में यूएसबीआरएल परियोजना के कटरा-बनिहाल खंड पर चल रहे कार्यों का निरीक्षण किया

लखनऊ। रेलवे बोर्ड अध्यक्ष एवं सीईओ विनय कुमार त्रिपाठी ने दिनाँक 09 सितम्बर से 10 सितम्बर तक जम्मू-कश्मीर में यूएसबीआरएल परियोजना के कटरा-बनिहाल (111 किलो मीटर) खंड पर चल रहे विभिन्न कार्यों का जायजा लिया। निरीक्षण का कार्य सुरंग टी-1 (3159 मीटर) से आरंभ किया गया।

मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी दीपक कुमार ने बताया कि पोर्टल पी 1 छोर से 1860 मीटर और पी 2 छोर से 1039 मीटर सुरंग खोदने का कार्य पूरा कर लिया गया है। अब केवल 260 मीटर खुदाई का कार्य शेष है। महत्तवपूर्ण मुख्य सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण, कार्य की प्रगति धीमी है। सुरंग की खुदाई के लिए कई प्री-सपोर्ट संसाधनों और खुदाई के उपरांत भी सहायक प्रणालियों की आवश्यकता होती है। कार्यकारी एजेंसी को संसाधनों को बढ़ाकर शेष 260 मीटर की खुदाई के कार्य को तेजी से पूरा करने की सलाह दी गई। उत्तर रेलवे और कोंकण रेलवे काॅर्पोरेशन लिमिटेड को कार्य प्रगति की बारीकी से निगरानी करने के निर्देश दिये गये।

सुरंग टी-1 के निरीक्षण के पश्चात पहले से ही पूर्ण हो चुकी 5090 मीटर लंबी मुख्य सुरंग एवं इसके समानांतर 5072 मीटर लंबी एस्केप टनल के कार्य का निरीक्षण किया गया। इस सुरंग में बीएलटी का कार्य प्रगति पर है और करीब 2.5 किलोमीटर लंबी एचबीएल (हाइड्रोलिकली बाउंडेड लेयर) पहले ही बिछाई जा चुकी है। सुरंग टी-2 के निरीक्षण के बाद, भारतीय रेलवे के पहले केबल स्टे ब्रिज, अंजी ब्रिज (कटरा छोर) का निरीक्षण किया गया, जिसकी कुल लंबाई 725 मीटर है। अंजी ब्रिज में नींव के ऊपर से 193 मीटर और नदी के तल से 331 मीटर की ऊंचाई का एक सिंगल मेंन पायलाॅन है। इस पुल के कटरा छोर पर, एमए 1 एबटमेंट सबस्ट्रक्चर का निर्माण कार्य प्रगति पर है और 22.3 मीटर ऊंचाई में से 9 मीटर का निर्माण हो चुका है। परियोजना से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि कटरा छोर पर केवल एमए1 और सीए2 के 38 मीटर स्पैन का शेष कार्य निर्माणाधीन है और इसे दिसंबर 2022 तक पूर्ण कर लिया जाएगा।

इसके उपरांत, अंजी ब्रिज के रियासी छोर का निरीक्षण किया गया। सब-स्ट्रक्चर का कार्य पूरा हो चुका है और सुपर स्ट्रक्चर की लॉन्चिंग/निर्माण का कार्य जारी है। 473 मीटर डेक में से 249 मीटर का निर्माण हो चुका है जिसमें डेरिक (सेगमेंट लॉन्चर) का उपयोग करके 6 सेगमेंट लॉन्च करना शामिल है। मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी के अनुसार परियोजना के अधिकारियों ने बताया कि एक महीने में 3 सेगमेंट (अर्थात 30 मीटर) का कार्य किया जा रहा है और इसमें तेजी लाने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं। सीआरबी ने किए जा रहे कार्य की सराहना की और परियोजना अधिकारियों को कार्य की प्रगति में और सुधार करने की सलाह दी ताकि कार्य को तेजी से पूरा किया जा सके। अंजी ब्रिज का मुआयना करने के बाद मुख्य पुल संख्या 39 का निरीक्षण किया गया, जो 490 मीटर लंबाई का एक निरंतर कम्पोसाइट गर्डर है तथा इसका कार्य पूरा होने के अंतिम चरण में है। इस पुल के सबसे ऊंचे पियर पी 5 की ऊंचाई नींव के स्तर से 105 मीटर है और रियासी यार्ड इस पुल के ऊपर स्थित होगा और इसमें दो लाइनें और दो प्लेटफॉर्म भी होंगे। मुख्य गर्डर के लिए डेक स्लैब का कार्य पूरा कर लिया गया है और प्लेटफार्म गर्डर का कार्य प्रगति पर है। परियोजना से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि शेष कार्य नवम्बर, 2022 तक पूर्ण कर लिये जायेंगे।

रियासी स्टेशन के निर्माण कार्य का भी मुआयना किया गया। ग्राउंड फ्लोर स्लैब डाली जा चुकी है और पहली मंजिल के कॉलम के लिए शटरिंग का काम चालू है। बताया गया कि सर्कुलेटिंग एरिया के नीचे बेसमेंट के रूप में जीआरपी और आरपीएफ बैरक का निर्माण किया जा रहा है और इसका काम जोरों पर है।

तत्पश्चात, रियासी से बक्कल छोर तक 20 किमी की यात्रा करते हुए निरीक्षण कार्य जारी रहा और निरीक्षण की यह यात्रा इस परियोजना के दूसरे सबसे लंबे पुल ब्रिज-43 तक पहुंची, जिसकी कुल लंबाई 777 मीटर है। पुल की वक्रता 1.4 डिग्री है और गर्डर की लॉन्चिंग दोनों छोरों से ऐंड लॉन्चिंग के द्वारा सटीकता के साथ कर्व पर की गई है जो पूरा हो गया है। डेक स्लैब की कास्टिंग प्रगति पर है।

ब्रिज -39 के पश्चात चिनाब ब्रिज का निरीक्षण किया गया, जो कि विश्व में सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज है। इस पुल के लिए डेक के गोल्डन ज्वाइंट का कार्य 13 अगस्त, 2022 को सफलतापूर्वक पूरा किया गया था।

चिनाब ब्रिज से लेकर टनल टी-14 तक सभी सुरंगों, पुलों और ट्रैक लिंकिंग कार्यों का निरीक्षण किया गया। सीआरबी ने कार्यों की गति और प्रगति पर संतोष व्यक्त किया और परियोजना से जुड़े अधिकारियों को विशेष रूप से टी-14 और बीएलटी कार्यों की प्रगति को और आगे बढ़ाने का निर्देश दिया। उन्होंने इस बात पर बल देते हुए कहा कि ईएंडएम और एसएंडटी कार्यों को भी समानांतर में किया जाना चाहिए ताकि परियोजना को निर्धारित समय पर पूरा किया जा सके।

रिपोर्ट-दया शंकर चौधरी

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