रामनाम की महिमा अपरंपार है। इसे जपने मात्र से लोग भवसागर पार कर जाते हैं। इसलिए रामनाम का वर्णन सभी धर्मग्रंथों में है। गुरुग्रंथ साहिब में 14 हजार बार राम का नाम है और उन पर कई पद हैं। वहीं, जैन रामायण में भी प्रभु श्रीराम की जीवनगाथा है। जन्म से मुक्ति तक का वर्णन है।
गुरुग्रंथ साहिब में गुरुनानक देव की वाणी है। इसे सिख पंथ के पांचवें गुरु अर्जनदेव ने लिखा है। गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी के पूर्व अध्यक्ष सतनाम सिंह धुन्ना ने बताया कि गुरुग्रंथ साहिब में सबसे ज्यादा हरि नाम आया है। इसके बाद रामनाम। प्रभु श्रीराम पर वर्णित पदों में, राम-राम करता जग फिरे राम न पाया जाए… है। नीचीबाग गुरुद्वारे के ग्रंथी भाई धर्मबीर सिंह ने बताया कि गुरुग्रंथ साहिब में प्रभु श्रीराम के अलावा हरि, कृष्ण, मुरारी, गोपाल और गिरधर का भी जिक्र है। गुरुनानक देव ने सभी को परमात्मा का स्वरूप माना है। राम का नाम हर युग में आया है। गुरुग्रंथ साहिब में गुरुनानक देव ने तमाम पद उन पर लिखे हैं।
सुपार्श्वनाथ की जन्मस्थली दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र के प्रबंधक सुरेंद्र जैन बताते हैं कि जैन धर्म में भगवान राम को उच्च स्थान दिया गया है। जैन रामायण में इसका जिक्र भी है। जैन रामायण में वनगमन, सीता हरण, राम-रावण युद्ध और लंका कांड आदि का भी वर्णन मिलता है। उन्होंने बताया कि जैन साहित्य में रामकथा से संबंधित कई ग्रंथ लिखे गए हैं।
नासिक में है राम मुक्तिधाम
सुरेंद्र जैन के मुताबिक जैन धर्म के अनुसार नासिक के मांगी टुंगी को प्रभु श्रीराम का मुक्ति स्थल माना गया है। प्रभु श्रीराम ने मुनि दीक्षा ग्रहण करने के बाद मोक्ष प्राप्त किया। उनको जैन धर्म के 20वें तीर्थंकर भगवान मुनि सुव्रतनाथ के समकक्ष बताया गया है।
पांच जैन तीर्थंकरों की जन्मस्थली भी अयोध्या
अयोध्या भगवान श्रीराम के अलावा जैन धर्म के पांच तीर्थंकरों की भी जन्मस्थली है। सुरेंद्र जैन ने बताया कि जैन धर्म के पहले तीर्थंकर आदिनाथ का वहीं जन्म हुआ था। इसके अलावा भगवान अजीतनाथ, अभिनंदन, सुमति नाथ और अनंत नाथ का भी जन्म अयोध्या में हुआ।