मध्य प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर ग्वालियर चंबल अंचल इस समय राजनीति का गढ़ बनता जा रहा है। बीजेपी और कांग्रेस के बाद इस समय सबसे ज्यादा सक्रिय दिख रही आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता इन दिनों चंबल अंचल में डेरा डाले हुए हैं।
‘आप’ की बढ़ती सक्रियता से जहां बीजेपी और कांग्रेस के लिए टेंशन बढ़ती जा रही है तो वहीं सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि क्या अंचल में बीजेपी और कांग्रेस के दिग्गजों के बीच ‘आप’ अपना वर्चस्व कायम कर पाएगी?
बता दें कि जैसे-जैसे मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, वैसे ही ग्वालियर चंबल अंचल में राजनीतिक दलों की सक्रियता तेज हो गई है। बीजेपी और कांग्रेस की तरफ से तमाम बड़े दिग्गजों ने यहां पर डेरा डालना शुरू कर दिया है और लगातार अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ रणनीति तैयार करने में लगे हुए हैं।इसी बीच अंचल में तीसरी राजनीतिक पार्टी के रूप में उभर रही ‘आप’ भी कम दिखाई नहीं दे रही है। ‘आप’ के भी तमाम बड़े नेता यहां पर बैठकें कर रहे हैं और कार्यकर्ताओं के साथ मुलाकात करने में जुटे हैं।
ग्वालियर चंबल अंचल में बीजेपी कांग्रेस के तमाम दिग्गजों के बीच अब ‘आप’ के सुप्रीमो और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आज ग्वालियर आ रहे हैं। यहां वह विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे। इस जनसभा में पूरे प्रदेशभर से लगभग एक लाख की अधिक संख्या में लोग शामिल होने का दावा किया जा रहा है।
आम आदमी पार्टी ग्वालियर चंबल अंचल पर क्यों ज्यादा जोर दे रही है, इसके पीछे एक बड़ा कारण है। दरअसल, ग्वालियर चंबल संभाग दिल्ली के नजदीक है और ग्वालियर चंबल इलाके के बड़ी संख्या में लोग दिल्ली में रहते हैं। वहीं, ग्वालियर चंबल अंचल में तीसरी पार्टी के रूप में ‘आप’ को इसलिए उम्मीद है क्योंकि बसपा का ग्राफ धीरे-धीरे खिसकता जा रहा है और नगर निगम के चुनाव में ग्वालियर और मुरैना नगर निगम में ‘आप’ ने अच्छा प्रदर्शन किया, इसलिए उसे उम्मीद है कि शहरी क्षेत्र में वह अपना प्रभाव जमा पाएगी।
इसके साथ ही अंचल में बीजेपी और कांग्रेस के बीच वह अंदरूनी घमासान का फायदा उठाना चाहती है, लेकिन यहां ‘आप’ के लिए खुद को स्थापित करना एक बड़ा चैलेंज है क्योंकि कांग्रेस और बीजेपी की जड़ें यहां ग्रास रूट तक बहुत मजबूत हैं। बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी भी यहां अपनी जड़ें नहीं जमा पाई हैं। जातिगत संतुलन साधना इस अंचल की राजनीति का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है और अभी अंचल में ‘आप’ के पास इन जातियों के लिए कोई बड़े नेता मौजूद नहीं हैं। वहीं केजरीवाल और ‘आप’ से जुड़े हुए नेताओं का जातिगत आधार इस अंचल में ज्यादा बड़ा नहीं है।
वही, चंबल में ‘आप’ की दस्तक के बाद सबसे ज्यादा टेंशन बीजेपी और कांग्रेस में दिखाई दे रखी है, भले ही बीजेपी और कांग्रेस के नेता यह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि ‘आप’ की एंट्री से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है, लेकिन असल में सच्चाई यह है कि ‘आप’ की सक्रियता ने बीजेपी और कांग्रेस नेताओं की नींद उड़ा दी है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि बीजेपी और कांग्रेस से नाराज नेता और कार्यकर्ता आम आदमी पार्टी के संपर्क में हैं। साथ ही बीजेपी और कांग्रेस से नाराज जनता को भी ‘आप’ के रूप में तीसरे दल का विकल्प मिल गया है।