नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर उर्जित पटेल Urjit Patel ने सरकार से विवाद के बाद अपने पद से सोमवार को इस्तीफ दे दिया। इसके पूर्व रघुराम राजन भी आरबीआई गवर्नर के पद से इस्तीफा दे चुके हैं। उर्जित पटेल का कार्यकाल सितंबर 2019 में खत्म होने वाले था, लेकिन उन्होंने 9 महीने ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया। 5 सितंबर 2016 को रिजर्व बैंक के 24वें गवर्नर के तौर पर पद संभाला था। रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में 1992 के बाद किसी गवर्नर का यह सबसे छोटा कार्यकाल रहा।
सेक्शन 7 के उपयोग को लेकर
पटेल ने निजी कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दिया है।उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि रिजर्व बैंक में काम करके अच्छा लगा। दो दिन पहले सरकार और उर्जित पटेल के बीच उत्पन्न हुए विवाद के बाद आरबीआई ने बैठक भी बुलाई थी। इसमें कई मुद्दों पर बातचीत भी हुई थी। सरकार के सेक्शन 7 के उपयोग करने को लेकर दोनों के बीच तनातनी चल रही थी।
उर्जित पटेल पूरी तरह पेशेवर और निष्कलंक : नरेंद्र मोदी
इससे पहले रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने रिजर्व बैंक की स्वायत्तता पर सवाल उठाए थे। उनके एक भाषण के बाद ही रिजर्व बैंक की स्वायत्तता का विवाद शुरू हुआ था। उर्जित पटेल के इस्तीफे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उनकी लीडरशिप में रिजर्व बैंक में स्थिरता आई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा इस्तीफे के बाद उर्जित पटेल पूरी तरह पेशेवर और निष्कलंक हैं। उर्जित पटेल के नेतृत्व में रिजर्व बैंक ने वित्तीय मोर्चे पर स्थिरता कायम की। मोदी ने कहा उर्जित पटेल ने बैंकिंग प्रणाली को अराजकता से निकाला और अनुशासन सुनिश्चित किया।
यह एक झटका : एस गुरुमूर्ति
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक और रिजर्व बैंक के स्वतंत्र निदेशक एस गुरुमूर्ति ने उर्जित पटेल के इस्तीफे पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि यह एक झटका है। वहीं वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार उर्जित पटेल की सेवाओं की पूरी गंभीरता के साथ सराहना करती है।