कोरोना के टीके से पहले सीएसआईआर द्वारा कोरोना की एक दवा के तैयार होने की संभावनाएं हैं. एमडबल्यू नाम की यह दवा दो चरणों के क्लिनिकल ट्रायल पूरे कर चुकी है और दवा नियामक ने इसे तीसरे चरण के परीक्षणों को मंजूरी प्रदान कर दी है.
सीएसआईआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राम विश्वकर्मा ने कहा कि दो चरणों के नतीजे उत्साहजनक रहे हैं, जिन्हें दवा नियामक के सामने रखा गया था. इसके बाद तीसरे चरण की मंजूरी मिल गई है.
देश में करीब 300 लोगों पर यह परीक्षण जल्द आरंभ किए जाएंगे. एम्स, अपोलो समेत चुनिंदा अस्पतालों में इन परीक्षणों की तैयारी आरंभ की जा रही है. यदि तीसरे चरण के परीक्षण सफल रहते हैं तो अगले साल की पहली तिमाही में यह दवा भी बाजार में होगी.
उन्होंने बताया कि यह दवा इम्यूनो थेरेपी के रूप में काम करेगी, जो उपचाराधीन मरीज को दी जा सकती है और स्वस्थ व्यक्ति को बचाने के लिए कारगर होगी. दूसरे चरण के परीक्षण में यह देखा गया है कि इसके सेवन से मरीज जल्द स्वस्थ हो रहे हैं. उनमें वायरस लोड तेजी से घट रहा है.
उन्होंने कहा कि तीसरे चरण के परीक्षण एम्स सहित कई चुनिंदा अस्पतालों में होंगे. दूसरे चरण के परीक्षण 42 मरीजों पर हुए थे, लेकिन तीसरे चरण में 300 लोगों पर परीक्षण किए जाएंगे. यह दवा कुष्ठ रोग में पहले से इस्तेमाल हो रही है. एमडब्ल्यू यानि मायकोबैक्ट्रीयम डबल्यू शरीर में बाहरी संक्रमण के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता पैदा करती है.
कोविड-19 संक्रमण में साइटोकाइंस की अति सक्रियता देखी गई है. वह नुकसानदायक होती है. साइटोकाइंस प्रतिरक्षा कोशिकाओं द्वारा उत्पन्न की जाने वाली प्रोटीन हैं. कई कोशिकाएं इन्हें पैदा करती हैं. इनकी मौजूदगी शरीर में प्रतिरोधक तंत्र को सक्रिया और नियंत्रित रखती है.