भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर मंगलवार को द्विपक्षीय वार्ता के लिए अपनी आधिकारिक यात्रा पर आर्मेनिया की राजधानी येरेवन पहुंचे। वह मध्य एशिया के काकेशस क्षेत्र में स्थित इस देश की यात्रा करने वाले पहले भारतीय विदेश मंत्री हैं।
मध्य एशिया के तीन देशों के दौरे पर हैं भारतीय विदेश मंत्री।
आर्मेनियाई विदेश मंत्री अरारत मिर्जोयान ने हवाई अड्डे पर डॉ. जयशंकर का स्वागत किया। अपनी इस यात्रा के दौरान डॉ. जयशंकर आर्मेनिया के प्रधानमंत्री और वहां की नेशनल असेंबली के अध्यक्ष से भी मुलाकात करेंगे।
अपने गृह प्रदेश तमिलनाडु के साथ आर्मेनिया के ऐतिहासिक जुड़ाव को किया याद।
भारतीय विदेश मंत्री की इस आर्मेनिया यात्रा के दौरान दोनों पक्ष अपने द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति की समीक्षा करेंगे और क्षेत्र के विकास के मुद्दे पर अपने विचार साझा करेंगे। भारतीय दृष्टिकोण से डा. जयशंकर की यह यात्रा उन देशों के साथ आपसी संबंधों को प्रगाढ़ बनाने की कोशिश है जिन्हें भारत अपने ‘विस्तारित पड़ोस का हिस्सा मानता है।
डा. जयशंकर ने अपनी इस यात्रा पर प्रसन्नता जताई और आर्मेनिया के साथ अपने गृह प्रदेश तमिलनाडु के ऐतिहासिक संबंधों को भी याद किया। उन्होंने वर्ष 1794 में मद्रास (अब चेन्नई) से अर्मेनियाई भाषा में प्रकाशित पहले समाचार पत्र का जिक्र करते हुए अपने एक ट्वीट में कहा पहले भारतीय विदेश मंत्री के तौर पर आर्मेनिया की यात्रा पर पहुंचने पर प्रसन्नता हुई। अपने गृह राज्य के साथ ऐतिहासिक संबंध को देखकर बहुत खुशी हुई।
आर्मेनिया के साथ तमिलनाडु का संबंध बेहद प्राचीन है। हालांकि इन संबंधों के बारे में लोग कम ही जानते हैं। चेन्नई के जॉर्ज टाउन इलाके में 1712 में निर्मित अर्मेनियाई चर्च आज तक उस समय की याद दिलाता है जब अर्मेनियाई व्यापारी उस समय के संपन्न बंदरगाह शहर मद्रास में बस गए थे। उस चर्च का 1772 में पुनर्निर्माण किया गया। चेन्नई में बसे अर्मेनियाई लोगों की संख्या पिछले कुछ वर्षों में घट गई है, हालांकि चर्च की घंटियां अभी भी हर रविवार को बजती हैं, जो लोगों को लगभग भूले हुए संबंधों की याद दिलाती हैं।
सनद रहे कि आर्मेनिया पहुंचने से पहले, विदेश मंत्री डाo जयशंकर ने किर्गिस्तान की आधिकारिक यात्रा पूरी की और नूर-सुल्तान में एशिया में बातचीत और विश्वास बहाली के उपायों को लेकर आयोजित छठे मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (सीआईसीए) में भी हिस्सा लिया।