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दुश्मन के 6-6 जेट्स से अकेले भिड़ने वाला सरदार ‘फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखो’

मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्‍मानित फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों ने पाकिस्‍तानी वायुसेना के छह-छह लड़ाकू विमानों का अकेले सामना किया। उन्‍होंने 1971 के भारत-पाकिस्‍तान युद्ध में जो बहादुरी दिखाई, उसकी बदौलत हम श्रीनगर एयरबेस बचाने में कामयाब रहे।

3 दिसंबर, 1971 को भारत-पाकिस्‍तान युद्ध की शुरुआत के बाद अहम रक्षा ठिकानों पर हमलों का खतरा बढ़ गया था। श्रीनगर एयरबेस पाकिस्‍तान से लगती सीमा की सुरक्षा के लिए बेहद अहम था। वहां हमले की पूरी आशंका थी जो सच भी साबित हुई। इधर-उधर मात खाने के बाद 14 दिसंबर को पाकिस्‍तानी वायुसेना ने धावा बोल दिया। मगर उन्‍हें अंदाजा नहीं था क‍ि भारतीय वायुसेना का एक जवान उनके होश उड़ाने को तैयार बैठा है। फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों ने उस दिन से पहले तक जो कुछ भी सीखा था, सबकी झलक अगले कुछ घंटों में दिखा दी। सेखों की बहादुरी, अपने एयरक्राफ्ट की बेहतरीन मैनूवरिंग और कभी हार ना मानने का जज्‍बा देखकर दुश्‍मन भी हैरान था।

  • 17 जुलाई 1945 को लुधियान में हुआ था निर्मलजीत सिंह का जन्‍म
  • 1971 की जंग में श्रीनगर एयरबेस को पाकिस्‍तानी हमले से बचाया
  • अकेले ही किया था छह-छह पाकिस्‍तानी लड़ाकू विमानों का सामना
  • एयरफोर्स के इकलौते ऐसे जवान जिन्‍हें मिला परमवीर चक्र सम्‍मान

सेखों ने अकेले ही दुश्‍मन के छह-छह लड़ाकू विमानों का सामना किया और उन्‍हे भगाया। अगर उस दिन सेखों नहीं होते तो शायद जंग की आखिरी तस्‍वीर कुछ और ही होती। सेखों भारतीय वायुसेना के इकलौते ऐसे जवान हैं जिन्‍हें परमवीर चक्र से सम्‍मानित किया गया। युद्धकाल में वीरता का यह सर्वोच्‍च सम्‍मान उन्‍हें मरणोपरांत दिया गया।

खतरा बड़ा था, सरदार की हिम्‍मत भी तो कम नहीं थी

एयरफोर्स की नंबर 18 स्‍क्‍वाड्रन (द फ्लाइंग बुलेट्स) के फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों की ड्यूटी श्रीनगर एयरबेस पर थी। 14 दिसंबर को एयरफील्‍ड में पाकिस्‍तानी वायुसेना के छह-छह एफ-86 (सेबर) जेट्स घुस आए। पेशावर से उड़ान भरने वाले इन विमानों से एक को विंग कमांडर सलीम बेग मिर्जा उड़ा रहे थे। मिर्जा का इस पूरी कहानी से कनेक्‍शन आपको आगे पता चलेगा। जैसे ही पहले एयरक्राफ्ट ने हमला शुरू क‍िया, सेखों टेकऑफ के लिए तैयार हो गए। वह दो मेंबर्स वाली टीम में नंबर 2 थे।

टीम की कमान फ्लाइंग लेफ्टिनेंट घुम्मन के हाथ में थी। हर तरफ से बम गिर रहे थे, खतरा काफी बडा़ था। मगर दोनों ने अपने-अपने फोलां नैट एयरक्राफ्ट संभाले और उड़ान भरी। मगर टेकऑफ के फौरन बाद ही लेफ्टि. घुम्मन ने विजुअल्‍स खो दिए। अब अकेले सेखों ही पाकिस्तान एयर फोर्स के छह-छह विमानों का सामना करने वाले थे। उन्‍होंने दुश्‍मन के एक एयरक्राफ्ट को निशाना बनाया और दूसरे को आग के हवाले कर दिया।

अकेले ही नाकाम कर दिए पाकिस्‍तान के मंसूबे

तब तक मदद को बाकी पाकिस्‍तानी जेट्स आ चुके थे। अब एक का मुकाबला चार से था। घिरे होने के बावजूद फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों ने चारों को उलझाए रखा। वे बार-बार सेखों के विमान को निशाना बनाने में चूक रहे थे। जब सेखों का जेट एक बार हिट हुआ तो एयर ट्रैफिक कंट्रोल संभाल रहे स्‍क्‍वाड्रन लीडर वीरेंद्र सिंह पठानिया ने उन्‍हें बेस पर लौटने की सलाह दी। मगर सेखों ने दुश्‍मन को खदेड़ना जारी रखा। उनका जेट दुर्घटनाग्रस्‍त हो गया। पाकिस्‍तानी विमान यह देखकर लौट गए। सेखों ने आखिरी वक्‍त में एयरक्राफ्ट से निकलने की कोशिश की जो सफल नहीं हुआ, उनकी कैनोपी उड़ती हुई देखीा गई। विमान का मलबा एक खाई में मिला मगर सेखों के पार्थिव शरीर का कुछ पता नहीं चला।

दुश्‍मन पायलट भी हो गया था मुरीद

फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों ने उस दिन आसमान में जो जादूगरी दिखाई, उससे पाकिस्‍तानी एयरफोर्स भी हैरान थी। विंग कमांडर सलीम बेग मिर्जा ने जंग के अपने अनुभवों में सेखों की बहादुरी को सलाम क‍िया है। मिर्जा ने एक लेख में उस जंग का पूरा ब्‍योरा सामने रखा है। वह यह भी लिखते हैं कि ‘पायलट ने बेस को खबर की थी कि उसका विमान हिट हुआ है। बेस ने कहा कि लौट आओ मगर इसके बाद पायलट ने और कुछ नहीं कहा।’

दया शंकर चौधरी

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