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नो स्मोकिंग डे पर सीएमओ सभागार में गोष्ठी का हुआ आयोजन

  • एएनएम को बताये गए धूम्रपान के खतरे और कानूनी धारायें

सुल्तानपुर। मुख्य चिकित्सा अधिकारी सभागार में नो स्मोकिंग डे पर गोष्ठी हुई। गोष्ठी में धूम्रपान और तम्बाकू उत्पादों के सेवन से होने वाले शारीरिक नुकसान के बारे में विस्तार से बताया गया। साथ ही सार्वजानिक क्षेत्र और स्कूल के आसपर धूम्रपान और तम्बाकू उत्पादों के सेवन और बिक्री से जुड़ी क़ानूनी धाराओं और प्रावधानों के बारे में भी जानकारी दी गई।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. धर्मेन्द्र कुमार त्रिपाठी के निर्देशन में सी.एम.ओ. सभागार में हुई गोष्ठी में सी.एम.ओ. कार्यालय के कर्मचारी और ए.एन.एम. ने हिस्सा लिया। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी और तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल डॉ. राधा वल्लभ ने बताया कि तम्बाकू का सेवन किसी भी रूप में करना हानिकारक होता है।

डॉ. वल्लभ ने युवा पीढ़ी को तम्बाकू और सेकेंड हैण्ड धूम्रपान के खतरों से बचाने के लिए आवश्यक क़दमों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि तम्बाकू उत्पादों और धूम्रपान से न केवल सेवन करने वाला ही प्रभावित होता है बल्कि उसके आसपास के लोग भी प्रभावित होते हैं।

अन्य लोग न चाहते हुए भी तम्बाकू और धूम्रपान के खतरे में आ जाते हैं और सेकेंड हैण्ड धूम्रपान की चपेट में आ जाते हैं। उन्होंने बताया कि कोटपा एक्ट के अन्तर्गत सार्वजानिक स्थान पर धूम्रपान और तम्बाकू उत्पादों के सेवन पर प्रतिबन्ध है। इसके उल्लंघन पर जुर्माना और कारावास दोनों का प्रावधान है।

धूम्रपान या किसी भी रूप में तम्बाकू उत्पादों का सेवन आपको फेफड़े, दिल, लिवर के रोग या ब्लड प्रेशर, मानसिक रोग और कैंसर जैसी गंभीर समस्या में डाल सकता है। इसलिए सभी को धूम्रपान और तम्बाकू उत्पादों से दूर रहना चाहिए : मुख्य चिकित्सा अधिकारी

कार्यक्रम के फाइनेंस व लाजिस्टिक मैनेजर अमित कुमार सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय धूम्रपान निषेध दिवस के अवसर पर सभी जिला चिकित्सालय, सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर कार्यक्रम आयोजित किये गए। शपथ ग्रहण के साथ ही आने वाले मरीजों और परिजनों को धूम्रपान पर जागरूक किया गया।

कोटपा एक्ट-कोटपा (सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रोडक्ट एक्ट) या तम्बाकू नियंत्रण कानून के अनुसार- सार्वजानिक स्थलों पर धूम्रपान निषेध है। इसके साथ शैक्षणिक संस्थानों के 100 गज की परिधि में तम्बाकू उत्पाद नही बेचा जा सकता। 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को तम्बाकू उत्पाद नहीं बेचा जा सकता। विद्यालय/ शैक्षणिक संस्थानों में धूम्रपान प्रतिबंधित है। सिगरेट या किसी भी तम्बाकू उत्पाद का प्रचार किसी भी प्रकार से नहीं किया जा सकता।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर

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