वरिष्ठ राजनयिक प्रदीप रावत चीन में भारत के अगले राजदूत होंगे। उनके शीघ्र ही पदभार ग्रहण करने की उम्मीद है। इस बारे में विदेश मंत्रालय ने एक संक्षिप्त बयान जारी कर जानकारी दी है। धारा प्रवाह चीनी भाषा मंदारिन बोलने वाले प्रदीप वर्तमान समय में नीदरलैंड के राजूदत हैं।
भारत और चीन सीमा विवाद के बीच राजदूत रावत लेंगे विक्रिम मिश्री की जगह।
भारतीय विदेश सेवा (IFS) के 1990 बैच के अधिकारी रावत विक्रम मिश्री की जगह लेंगे। उनकी नियुक्ति पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के बीच सीमा को लेकर चल रह टकराव के बीच हुई है। वह पहले हांगकांग और बीजिंग में काम कर चुके हैं। रावत ने सितंबर, 2017 से दिसंबर, 2020 तक इंडोनेशिया एवं तिमोर-लेस्ते में राजदूत के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं।
धारा प्रवाह मंदारिन बोलने वाले प्रदीप रावत को दिल्ली में चीन की नीतियों और व्यवहार को ठीक ढंग से संभालने वाले वरिष्ठतम अधिकारियों में से एक माना जाता है।
राजूदत रावत भारत और चीन सीमा पर जारी तनाव से ठीक तरह से वाकिफ हैं। वह 2014 से 2017 तक विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) के रूप में कार्य कर चुके हैं। उन्हें नई दिल्ली में चीन की नीतियों और व्यवहार को ठीक ढंग से संभालने वाले वरिष्ठतम अधिकारियों में से एक माना जाता है।
1990 में विदेश सेवा में शामिल होने के बाद राजदूत रावत ने अपनी विदेशी भाषा के रूप में मंदारिन को चुना और एक आधिकारिक प्रोफ़ाइल के अनुसार पहले हांगकांग और फिर बीजिंग में 1992 और 1997 के बीच सेवाएं दीं हैं। इसके बाद तीन साल के लिए उन्हेंनो पूर्वी एशिया डिवीजन में अपनी सेवाएं दीं। राजदूत रावत का बीजिंग में दूसरा कार्यकाल 2003 में शुरू हुआ, जो चार साल का कार्यकाल था। शुरू में उन्होने काउंसलर के रूप में और फिर मिशन के उप प्रमुख के रूप में अपनी सेवाएं दी। इस दौरान सीमा विवाद को लेकर 2003 में विशेष प्रतिनिधियों की नियुक्ति और 2005 में राजनीतिक मापदंडों एवं मार्गदर्शक सिंद्धांतों को अनुरूप हुए समझौता के दौरान वह शामिल रहें।