अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर निर्माण को लेकर इन दिनों देश में धन संग्रह अभियान चलाया जा रहा है. तो वहीं दूसरी तरफ द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने इस चंदे को लेकर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा है कि जो चंदा इकठ्ठा किया जा रहा है, उससे अयोध्या में रामलला के मंदिर का निर्माण नहीं होगा, बल्कि विश्व हिन्दू परिषद का दफ्तर बनाया जाएगा.
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद ने संघ और वीएचपी के लोगों से सवाल पूछा है कि आखिर वह किस अधिकार से मंदिर के नाम पर चंदा वसूल रहे हैं. उनके अनुसार संघ-बीजेपी और वीएचपी के लोग राम को भगवान के बजाय मर्यादा पुरुषोत्तम मानते हैं.
महापुरुषों की मूर्तियां लगती हैं, जबकि भगवान का मंदिर बनता है और वहां पूजा अर्चना की जाती है. उन्होंने आशंका जताई है कि चंदे की रकम का दुरूपयोग हो सकता है. उनके अनुसार राम मंदिर आंदोलन के दौरान जो चंदा इकठ्ठा किया गया था, उसका कोई हिसाब किसी के पास नहीं है.
शंकराचायज़् स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन का समर्थन किया है और सरकार से किसानों की सभी बातों को मानते हुए नए क़ानून रद्द किये जाने की मांग की है.
उनका कहना है कि क़ानून के ज़रिये जिन किसानों के हित के दावे किये जा रहे हैं, जब वही इसे नकार रहे हैं और इसे अपने लिए खतरा बता रहे हैं तो सरकार उनकी बात मानने के बजाय क्यों जिद पर अड़ी हुई है. किसान आंदोलन के मुद्दे पर उन्होंने सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाए.