लखनऊ। सपा ने यूपी में जाटव मतदाताओं में सेंध लगाने की रणनीति बनाई है। यही वजह है कि गाजियाबाद और खैर में इस बिरादरी के प्रत्याशी उतारकर भविष्य के लिए संदेश देने का काम किया है। भविष्य में सपा इस रणनीति पर ज्यादा काम करेगी।
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यूपी की दलित आबादी में जाटवों की संख्या 55 प्रतिशत से अधिक है। वर्तमान में इस जाति के मतदाता बसपा और आजाद समाज पार्टी के प्रभाव में अधिक हैं। उपचुनाव की नौ सीटों में से दो पर जाटव बिरादरी के प्रत्याशी उतारकर सपा ने यह संदेश दिया है कि वह इस बिरादरी को उचित प्रतिनिधित्व देने में पीछे नहीं रहेगी।
पीडीए (PDA) की अन्य जातियों की तरह ही जाटव जाति का साथ लेना भी उसकी प्राथमिकता है। सपा सूत्रों का कहना है कि गाजियाबाद और खैर में टिकट देने के साथ ही पार्टी के पदाधिकारियों से जाटव मतदाताओं के बीच सघन जनसंपर्क करने के लिए कहा गया है। ताकि, भविष्य के लिए एक जनाधार भी तैयार हो सके।
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इंडिया गठबंधन में सपा की समन्वय समिति का इंतजार
कांग्रेस ने उपचुनाव में इंडिया गठबंधन (India Alliance) के प्रत्याशियों को समर्थन देने के लिए विधानसभावार समन्वय समिति का गठन कर दिया है, लेकिन अभी तक सपा ने अपनी समन्वय समिति की घोषणा नहीं की है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और सपा, दोनों ने बातचीत के लिए अपने-अपने कुछ पदाधिकारियों की टीम बनाई थीं।
दोनों ओर की ये टीमें समय-समय पर एक साथ बैठक भी करती थीं। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय का कहना है कि हमने समन्वय के लिए गठित अपनी समितियों का ब्योरा सपा को भेज दिया है। वहीं, सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी का कहना है कि उनकी भी समन्वय समिति का शीघ्र गठन कर दिया जाएगा। हम लगातार कांग्रेस के राज्य नेताओं के संपर्क में हैं।