लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश अव्यवस्था और अराजकता के गंभीर संकट से गुजर रहा है। शासन-प्रशासन में खींचतान और समन्वय की कमी से हालत यह है कि पुलिस बल जनता को धमकाने और वसूली में लग गया है। सभी विरोधी नेताओं को झूठे मुकदमों में भाजपा सरकार फंसाने को अपनी उपलब्धि मानती है।
सरकार श्रमिकों, किसानों और नौजवानों को सता रही है। लोगों को न रोजगार मिल रहा है और नहीं पेट भरने को राशन। दूसरे प्रदेशों से आए श्रमिक अब अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं। उनके सामने माया मिली न राम वाली स्थिति है। नौजवानों को रोजगार के आंकड़े दिखाकर भ्रमित किया जा रहा है। उनको अपने भविष्य में अंधेरे के अलावा कुछ और नहीं दिख रहा है। बैंक नए उद्योग लगाने के लिए कर्ज देने में आनाकानी कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में किसानों के विरूद्ध अपराधिक झूठे मुकदमें दर्ज किए जा रहे हैं। किसानों की दशा लगातार खराब होती जा रही है। कृषि उपकरण, खाद, बीज, कीटनाशक, डीजल, बिजली सभी तो मंहगे है। उस पर बैंक अपने कर्ज की अदायगी के लिए किसानों और दूसरे कर्जदारों पर दबाव बना रहे हैं। तंगहाली में हर ओर से निराश-परेशान किसान प्रदेश में जान दे रहे हैं। झांसी के मोठ में पाडरी निवासी मूरत सिंह कर्ज से परेशान था। उसने आग लगाकर अपनी जान दे दी। इससे पूर्व मऊरानीपुर तहसील के थाना क्षेत्र लहचूरा में भी एक किसान ने आत्महत्या की। वह दिल्ली में मजदूरी करता था। कुछ दिन पहले ही गांव आया था। वह भी कर्ज से परेशान था।
वीवीआईपी क्षेत्र गोरखपुर में गन्ना खरीद की पर्ची न मिलने पर और बकाया भुगतान न होने से परेशान किसान ने भी आत्महत्या की धमकी दी है। उसका कहना है कि भुगतान के बहाने उसे परेशान किया जा रहा है। अगर 14 जून तक भुगतान नहीं हुआ तो 15 जून 2020 को वह गोरखपुर मंदिर के बाहर आत्मदाह कर लेगा। प्रदेश में किसानों की निरन्तर उपेक्षा हो रही है। भाजपा सरकार को उनकी कतई परवाह नही है।
भाजपा सरकार में किसानों का न तो सम्मान सुरक्षित है और नहीं जीवन। उनके द्वारा आत्महत्या किए जाने का दौर पूरब से लेकर पश्चिम तक जारी है। आज स्थिति इतनी डरावनी हो गई है कि लोकतंत्र ही खतरे में पड़ गया है। भाजपा किसान और गांव दोनों को मिटाना चाहती है। वह कारपोरेट खेती की हिमायती है। गांव-गरीब दोनों की समाप्ति से ही भाजपा की पूंजीघरानों के हित की राजनीति चमकाने की योजना है। राज्य में अपराधिक घटना थमने का नाम नहीं ले रही है। ऐसे में पुलिस प्रशासन की भूमिका संदेह के घेरे में है। जैसे कोरोना भाजपा के हाथ नहीं आ सका वैसे कानून-व्यवस्था भी भाजपा सरकार के नियंत्रण से निकल गयी है। कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर भाजपा सरकार पूरी तरह विफल हो चुकी है। अपराधिक घटनाएं जब होती हैं पुलिस तब कहां होती है।