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मुहर्रम में सोशल मीडिया बंद करने की मांग, राज्यों को हिंसा का डर, प्रधानमंत्री से की अपील

पाकिस्तान में मुहर्रम के दौरान सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लग सकता है। दरअसल पाकिस्तान के पंजाब राज्य समेत कई अन्य राज्यों ने संघीय सरकार से यह मांग की है। राज्यों को डर है कि मुहर्रम के दौरान हिंसा भड़क सकती है और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए नफरती संदेश तेजी से फैलने का डर है।

पाकिस्तान में मुहर्रम के दौरान हो चुकी हैं कई आतंकी घटनाएं
मुहर्रम के दौरान शिया मुसलमान इस्लाम के पैगंबर के पोते की शहादत की याद में बड़ी-बड़ी सभाएं करते हैं और जुलूस निकालते हैं। शिया मुसलमान उनकी शहादत को अत्याचार के प्रतिरोध के प्रतीक के रूप में मनाते हैं। इस दौरान मोहर्रम के पहले दस दिनों तक विशाल रैलियां करते हैं। शिया मुस्लिमों की सुन्नी मुस्लिमों के साथ ऐतिहासिक धार्मिक प्रतिद्वंदिता है। यही वजह है कि कट्टरपंथी सुन्नी समूहों की तरफ से मुहर्रम के दौरान शिया मुस्लिमों की रैलियों को निशाना बनाने की घटनाएं होती हैं। इस दौरान पाकिस्तान में बम विस्फोट या आत्मघाती हमलों का डर बना रहता है।

पंजाब सरकार ने संघीय सरकार से की अपील
हिंसा के डर से ही पाकिस्तान की सरकार मुहर्रम के दौरान दूरसंचार के साधनों पर रोक, इंटरनेट और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने जैसे कदम उठाती है। पंजाब की सरकार ने संघीय सरकार से अपील की है कि मुहर्रम के दौरान 6-11 जुलाई तक सोशल मीडिया सेवाओं पर रोक लगाई जाए ताकि भ्रामक संदेशों को फैलने से रोका जा सके। पंजाब सरकार ने गृह मंत्रालय को एक पत्र लिखा है, जिसमें मुहर्रम के दौरान फेसबुक, वाट्सएप, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, एक्स, टिक-टॉक आदि सोशल मीडिया मंचों पर पूरे प्रांत में रोक लगाने की मांग की।

पाकिस्तान के गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को बयान जारी कर बताया कि सोशल मीडिया मंचों पर रोक लगाने का फैसला प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ही करेंगे। अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं किया है। रविवार या सोमवार को चांद दिखने के साथ ही मुहर्रम की शुरुआत हो सकती है। मुहर्रम की शुरुआत पर फैसला लेने के लिए मौलवियों की निकाय चर्चा कर रही है।

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