नई दिल्ली। भारतीय जुडिशरी के इतिहास में पहली बार मीडिया से मुखातिब होकर चर्चा में आए सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने देश की सर्वोच्च न्यायालय की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिये हैं। जजों के इन आरोपों ने भारतीय राजनीति और न्यायपालिका के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। इन जजों ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन सही तरीके से काम नहीं कर रहा है। यही स्थिति रही तो यह भारत के लोकतंत्र के लिए भी खतरा होगा। जजों ने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट में उन्हीं की बात नहीं सुनी जाती है।
इस मामले को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संज्ञान में लिया। शनिवार की सुबह प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा ने सीजेआई दीपक मिश्रा से उनके निवास पर मुलाकात की है। जिसमें उनसे काफी समय तक चर्चा की गई। लेकिन नृपेंद्र मिश्रा ने मीडिया से दूरी बनाये रखा।
अटॉर्नी जनरल लेने बैठक में हिस्सा
इस घटना के बाद मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के कल मीडिया के सामने आने की बात कही जा रही थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस विवाद को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने एक बैठक भी बुलाई है। इस बैठक में यह विवाद सुलझ सकता है। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल बैठक में शामिल होंगे।
अटॉर्नी जनरल ने दिए सुलह के संकेत
सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर सवाल उठाए जाने को लेकर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि यह मुद्दा शनिवार तक सुलझा लिया जाएगा। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जज अपने मतभेद 13 जनवरी तक सुलझा सकते हैं।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों के प्रेस कॉन्फ्रेंस को टाला जा सकता था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट सभी जज बहुत ही अनुभवी और कुशल हैं और मुझे उम्मीद है कि शनिवार तक इस विवाद का हल हो जाएगा।
जजों ने लगाए मुख्य न्यायाधीश पर आरोप
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जे. चेलमेश्वर, रंजन गोगोई, मदन लोकुर और कुरियन जोसफ ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया से बातचीत की थी। उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक तरह से काम नहीं कर रहा है। हमने चीफ जस्टिस से इस बारे में मुलाकात भी की है। उन्होंने कहा कि चीफ जस्टिस से कई गड़बडि़यों की शिकायत की थी, जिन्हें ठीक किए जाने की जरूरत है। आज सुबह भी हम चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा से मिले थे’।
जजों ने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट में मामलों का बंटवारा सहीं ढंग से नहीं होता है। सुप्रीम कोर्ट के जजों ने पहली बार मीडिया के सामने आते हुए यह बातें कहीं। न्यायाधीशों ने मीडिया से कहा, हम आज इसलिए आपके सामने आए हैं, ताकि कोई ये न कहे कि हमने अपनी आत्माएं बेच दीं।
प्रधानमंत्री ने की कानून मंत्री से बात
यह अपने आप में ऐतिहासिक घटना थी। क्योंकि इससे पहले कभी किसी जज ने मीडिया के सामने आकर बयानबाजी नहीं की थी। चार जजों के इस कदम से भारतीय राजनीति में भूचाल मच गया। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों के संवाददाता सम्मेलन की पृष्ठभूमि में अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल को बैठक के लिए बुलाया और उनसे चर्चा की। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद से मामले की जानकारी ली।