उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने गायत्री प्रजापति को इलाहाबाद हाईकोर्ट से मिली अंतरिम जमानत पर रोक लगा दी है. उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल की थी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले 5 सितंबर को गायत्री प्रजापति को दो महीने की अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था. 17 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने प्रजापति के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था.
सुप्रीम कोर्ट के FIR दर्ज करने के निर्देश के बाद 15 मार्च 2017 को गायत्री प्रजापति को लखनऊ से गिरफ्तार किया गया था. 24 अप्रैल 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस को निर्देश दिया था कि गायत्री प्रजापति मामले में पीड़िता और उसके परिजनों को सुरक्षा मुहैया कराई जाए.
पीड़ित महिला समाजवादी पार्टी की कार्यकर्ता है. उसके मुताबिक गायत्री प्रजापति ने 2014 से जुलाई 2016 तक 2 साल उसके साथ लगातार रेप किया. प्रजापति और उनके सहयोगियों ने कुछ मौकों पर उसके साथ सामूहिक रेप भी किया.
जब प्रजापति ने उसकी 14 साल की बेटी के साथ बलात्कार की कोशिश की तब उसने पुलिस में शिकायत की. कोई कार्रवाई न होने पर उसने 7 अक्टूबर 2016 को प्रदेश के डीजीपी से भी शिकायत की लेकिन वहां भी कोई कार्रवाई नहीं हुई.
तब उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था जिसके बाद प्रजापति के खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश दिेए गए थे.