संचार में फ़िल्मों की भूमिका कम नहीं होती. इस पर नियन्त्रण के लिए सेंसर बोर्ड होता है. लेकिन अनेक दृश्यों गीत पटकथा संवाद आदि पर इसका अंदाज बेपरवाह बोर्ड जैसा प्रतीत होता है. बेशक अभिव्यक्ति की आजादी है. लेकिन सभ्य समाज में इसकी भी मर्यादा होती है. होनी चाहिए भी.किसी ...
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