मनुष्य एक विवेकशील प्राणी है, वह निरंतर चिंतन मनन करता रहता है। यदि जीवन को समझने का प्रयास किया जाए,तो वह किसी अजूबे से कम नहीं है।बुढ़िया का जीवन भी किसी अजूबे से कम नहीं था। वह जीवन के अंतिम चरण से गुजर रही थी चार पुत्र थे उसके। चारों ...
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