चांद और स्मृति विस्तृत, अनंत, शांत नभमंडल में, काली घटा की कालिमा घटाकर। नीरवता को समेटे शनै:शनै: विचरता, पूर्ण रात्रि का अर्द्ध-चन्द्र। अनगिनत प्रेमी प्रेमिकाओं के प्रेम संदेश लिए, भटक रहा है, यत्र-तत्र हल्कारे-सा। उसके इस भटकाव की सहचर हैं, निहारिका परिवार की असंख्य तारिकाएं। उसकी धवल चांदनी में, टटोलती ...
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