संसद में मचता गदर संसद में मचता गदर, है चिंतन की बात। हँसी उड़े संविधान की, जनता पर आघात॥ भाषा पर संयम नहीं, मर्यादा से दूर। संविधान को कर रहे, सांसद चकनाचूर॥ दागी संसद में घुसे, करते रोज़ मखौल। देश लुटे लुटता रहे, ख़ूब पीटते ढोल॥ जन जीवन बेहाल है, ...
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