रमाशंकर की कार जैसे हो सोसायटी के गेट में घुसी, गार्ड ने उन्हें रोक कर कहा, “साहब, यह महाशय आपके नाम और पते की चिट्ठी ले कर न जाने कब से भटक रहे हैं।” रमाशंकर ने चिट्ठी ले कर देखा, नाम और पता तो उन्हीं का था, पर जब उन्होंने ...
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