शिक्षा राष्ट्रीय स्वरूप व परिवेश के अनुकूल होनी चाहिए। परतन्त्रता के दौर में इसका अभाव था। स्वतन्त्र भारत में भी अनेक कारणों से अपेक्षित सुधार नहीं किये गए थे। लेकिन वर्तमान सरकार ने इस कमी को दूर किया है। व्यापक विचार विमर्श के बाद नई शिक्षा नीति लागू की गई ...
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