प्रकृति उनकी माँ थी। पेड़ पौधे उनकेअपने सगे थे। वह पर्यावरण, हिमालय, जल, जंगल, जमीन पर लोगों के हक- हकूकों के पैरोकार थे। यह बात चिपको आन्दोलन के प्रणेता, स्वतंत्रता सेनानी, प्रख्यात पर्यावरणविद् सुन्दर लाल बहुगुणा के निधन पर गांधी भवन, बाराबंकी में आयोजित शोकसभा की अध्यक्षता कर रहे समाजवादी ...
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