जब-जब जगत को दुःख, अधर्म और अराजकता ने घेरा, तब-तब राम (Ram) ने अवतार लिया। तुलसीदास (Tulsidas) ने जब ‘रामचरितमानस’ की रचना की, तब भारत सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक रूप से गहरे संकट में था। उन्होंने अपने राम को केवल युद्धों में विजयी एक योद्धा के रूप में नहीं, बल्कि ...
Read More »