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बड़ा सवाल: “मस्जिदों पर लगा लाउडस्पीकर हटाने से क्या सच में कम हो जाएगा नॉइस पॉल्यूशन ?”

मौजूदा समय में देश में कई मुद्दों पर बहस चल रही है, रामनवमी हनुमान जयंती के मौके पर दिल्ली सहित देश के कई राज्यों में हुई हिंसा इन मुद्दों में एक है. महंगाई बेरोजगारी पर चर्चा शुरू ही होने वाली थी कि मस्जिदों पर लगा लाउडस्पीकर बीच में आ गया.

इस चर्चा के सूत्रधार MNS प्रमुख राज ठाकरे हैं. उन्होंने 3 मई तक का अल्टीमेटम दिया है कहा है कि 3 मई तक हर हाल में महाराष्ट्र के मस्जिदों से लाउडस्पीकर उतर जाना चाहिए.

महाराष्ट्र के स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की 2020 की साउंड मॉनिटरिंग रिपोर्ट कहती है कि राज्य में कई जगहों पर नॉइस लेवल बढ़ा है. रिपोर्ट कहती है कि कई जगहों पर स्टैंडर्ड साउंड लेवल के नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई गई हैं.

तेजी से बढ़ रहा ऑटोमोबाइल इसकी सबसे बड़ी वजह है. रिपोर्ट के मुताबिक लोग ट्रैफिक में बेवजह में हॉर्न बजाते हैं रास्ते में तेज आवाज में गाने सुनते हैं, जिससे पब्लिक प्लेस पर हाई लेवल नॉइस जनरेट होती है.

नॉइस पॉल्यूशन को उतनी तवज्जो नहीं मिलती जितनी कि वाटर एयर पॉल्यूशन को मिलती है लेकिन स्वास्थ्य पर इसका असर कम खतरनाक नहीं है. डब्ल्यूएचओ यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, दुनिया में 12 से 35 साल के 110 करोड़ युवाओं पर, नॉइस पॉल्यूशन के चलते सुनने की क्षमता खो देने का रिस्क है.

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